Mahakumbh 2025: बेहद कठिन होता है एक साध्वी का जीवन, जानिए इनसे जुड़े रोचक तथ्य
सनातन धर्म में महाकुंभ का आयोजन बहुत ही महत्व रखता है। यह हर 12 सालों में एक बार लगता है। इस बार इसकी पावन शुरुआत 13 जनवरी से हुई है। इस दौरान (Maha Kumbh Shahi Snan 2025) कई दिव्य पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं। वहीं आज हम अपने इस आर्टिकल में जानेंगे कि आखिर साध्वी का जीवन कैसा होता है?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक महाकुंभ मेला माना जाता है। इस बार इसकी पावन शुरुआत 13 जनवरी से हुई है। हिंदू परंपरा में इसका बहुत बड़ा महत्व है। इस अनुष्ठान में दुनिया भर से लाखों भक्त, साधु-संत त्रिवेणी संगम पर पहुंचते हैं। इस साल महाकुंभ इसलिए भी बहुत खास माना जा रहा है, क्योंकि इस दौरान कई शुभ संयोग बन रहे हैं। वहीं, इस आध्यात्मिक यात्रा में साधुओं के साथ साध्वी की बढ़ती संख्याएं लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।
ऐसे में इनके बारे में जानने की इच्छा लोगों के मन में बढ़ती जा रही हैं। हालांकि इनका जीवन बेहद ही कठिन होता है, तो आइए इनसे (Sadhvi Life) जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
साध्वी कैसे बनती हैं? (Sadhvi Life Challenges)
- साध्वी बनने के लिए एक महिला को धार्मिक शिक्षा, अपने वेद पुराण व सभी प्रकार की धार्मिक मान्यताओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
- इसके लिए महिला को आध्यात्मिक अभ्यास जैसे - योग, ध्यान आदि की जानकारी होनी चाहिए।
- साध्वी बनने के लिए गुरु का आश्रय लेना पड़ता है, जो धर्म के साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी देते हैं।
- एक साध्वी के अंदर त्याग और अनुशासन का होना भी बहुत जरूरी होता है।
- जो महिला साध्वी बनने का निर्णय लेती है, उसे सभी प्रकार की मोह-माया का पूरी तरह से त्याग करना पड़ता है। चाहे वो कोई भौतिक सुख-सुविधा हो या फिर रिश्ते-नाते।
- एक साध्वी को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ता है।
- एक साध्वी के लिए समाज के प्रति सेवा व समर्पण का भाव होना चाहिए। इसके अलावा उसे सबसे पहले अपने अंदर बदलाव करना पड़ता, जिससे वह समाज के लिए सीख बन सके।
- एक साध्वी बनने के लिए महिला को ब्रह्मचर्य का पालन भी करना पड़ता है।
महाकुंभ का महत्व (Mahakumbh 2025 Facts)
कुंभ मेले (Mahakumbh 2025) का समय विशिष्ट ग्रह स्थितियों द्वारा नियंत्रित होता है। सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में हैं, जबकि बृहस्पति कुंभ राशि में है। ये संयोग न केवल सामूहिक आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रभावित करते हैं, बल्कि उनकी राशि के आधार पर व्यक्तियों के व्यक्तिगत विकास को भी प्रभावित करते हैं।
इसके साथ ही इस दौरान कई प्रकार के दिव्य अनुष्ठान किए जाते हैं, जिसका हिस्सा बनने से व्यक्ति तमाम तरह की मुश्किलों से हमेशा-हमेशा के लिए छुटकारा पा लेता है।
यह भी पढ़ें: Mahakumbh 2025: क्यों इतना खास है अमृत स्नान? जानिए इसका धार्मिक महत्व
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।