Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahabharat: कैसे जन्मी थी गांधारी की 101 संतानें, ऋषि व्यास से मिला था ये वरदान

    महाभारत का युद्ध मुख्य रूप से कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था। जहां पांडवों की संख्या पांच थी वहीं कौरव 100 थे। कौरवों का माता का नाम गांधारी था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस प्रकार इन कौरवों का जन्म एक साथ हुआ। इसके पीछे एक बड़ी ही रोचक कथा मिलती है। चलिए जानते हैं कौरवों के जन्म की रोचक कथा।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 23 May 2024 04:10 PM (IST)
    Hero Image
    Mahabharat: कैसे हुआ था कौरवों का जन्म।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahabharat story: महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं, घटी हैं, जो किसी भी व्यक्ति को आश्चर्य में डाल सकती हैं। 100 पुत्रों का एक साथ जन्म होने की बात किसी को भी असंभव लग सकती है। लेकिन महाभारत काल में गांधारी और धृतराष्ट्र के 100 पुत्र और एक पुत्री थे।    

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऋषि व्यास ने दिया वरदान

    पौराणिक कथा के अनुसार, गांधारी की सेवा से प्रसन्न होकर ऋषि व्यास ने उन्हें वरदान दिया था कि तुम 100 पुत्रों की माता बनोगी। महाभारत में यह उल्लेख मिलता है कि जब गांधारी गर्भवती हुई तो उसने 9 माह की बजाय 2 साल तक गर्भ धारण किया था। इसके बाद गांधारी के गर्भ से किसी शिशु का जन्म नहीं हुआ बल्कि उसके गर्भ से एक मांस का टुकड़ा निकला।

    पुत्री का भी हुआ जन्म

    इसके बाद ऋषि व्यास ने इस मांस के टुकड़े को को 101 भागों में बांटा और अगल-अलग मिट्टी के घड़ों में रख दिया। कुछ समय बाद वह मांस के टुकड़े बच्चों के विकास रूप में विकसित हुए। एक-एक करके 100 पुत्रों का जन्म हुआ, जिसमें सबसे बड़े कौरव का नाम है दुर्योधन रखा गया, जो महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक भी है। अंत में इन्हीं घड़ों में से एक पुत्री का भी जन्म हुआ, जिसका नाम दुशाला था।

    यह भी पढ़ें - Daksheshwar Mahadev Temple: सावन के महीने में यहां विराजाते हैं महादेव, श्रद्धालुओं की उमड़ती है भारी भीड़

    इसलिए हुई जन्म में देरी

    महाभारत में वर्णन मिलता है कि गांधारी ने पिछले जन्म में जीव हत्या कर पाप कमाया था। जिस कारण उनकी संतान के जन्म में इतनी देरी हुई। उसे इसलिए हुई थी क्योंकि पिछले जन्म में और उसी का फल उन्हें द्वापरयुग में मिला। वहीं एक अन्य कथा यह भी मिलती है कि गांधारी ने पिछले जन्म में 100 कछुओं को मार दिया था, जिस कारण उसके 100 पुत्रों की मौत हो गई थी।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।