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    Mahabharat: मृत्यु शैय्या पर लेटे हुए भीष्म पितामह ने अर्जुन को दी थी ये बहुमूल्य सीख

    Updated: Fri, 10 May 2024 01:32 PM (IST)

    हिंदू धर्म में महाभारत काव्य को विशेष महत्व दिया जाता है। महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य को सीखाता है कि व्यक्ति को जीवन में कौन-सी गलतियां करने से बचना चाहिए। महाभारत के युद्ध में अपने अंतिम समय में भीष्म पितामह ने अपने प्रिय अर्जुन को बहुमूल्य सीख दी थी जो आप भी प्रासंगिक बनी हुई है। चलिए जानते हैं इस विषय में।न

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    Mahabharat भीष्म पितामह की अर्जुन को बहुमूल्य सीख।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahabharat Characters: भीष्म पितामह और अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक हैं। महाभारत की युद्ध के दौरान अर्जुन ने अपने बाणों के प्रहार से भीष्म पितामह को छलनी कर दिया था। लेकिन भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिस कारण कष्ट में होने के बाद भी अपने प्राण नहीं त्यागे। वह बाणों की श्रेया पर कई दिनों तक लेटे रहे। इस घटना के बाद भी अर्जुन हमेशा भीष्म पितामह के प्रिय बने रहे।

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    भीष्म पितामह की मूल्यवान सीख

    • भीष्म पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे हुए अपने अंतिम समय में अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी लालसा में आकर अपनी मर्यादा का त्याग नहीं करना चाहिए।
    • भीष्म पितामह ने अपने प्रिय अर्जुन से कहा कि सत्ता का उपयोग कभी भी उपभोग के लिए नहीं करना चाहिए, बल्कि कठिन परीक्षण करके समाज का कल्याण करना चाहिए। एक शासक के लिए अपना पुत्र और प्रजा एक समान होनी चाहिए।
    • भीष्म पितामह, अर्जुन से कहते हैं कि तुम जीत जाओ तब भी न घमंड में आना और न ही सूख की लालसा रखना। साथ ही भीष्म पितामह, अर्जुन से यह भी कहते हैं कि अपने कर्तव्य और धर्म को हमेशा सर्वोपरि रखना।
    • अर्जुन को सीख देते हुए भीष्म पितामह कहते हैं कि ऐसा बात कभी मत करना जिससे दूसरों को कष्ट हो। दूसरों का अपमान करना, अहंकार और दम्भ में रहना ही मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं।  
    • जो पुरुष भविष्य पर अधिकार रखता है, और समयानुकूल तत्काल विचार कर सकता है, वह दूसरों की कठपुतली नहीं बनता। ऐसा व्यक्ति हमेशा सुख हासिल करता है। वहीं आलस्य मानव का नाश कर देता है।

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