Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर जरूर करें रुद्राष्टकम का पाठ, शत्रुओं से मिलेगी मुक्ति
साल 2025 में महाशिवरात्रि का पर्व बुधवार 26 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन पर शिव जी की 4 पहर में पूजा करना काफी शुभ फलदायी माना गया है। ऐसे में आप इस दिन शिव जी की पूजा के दौरान श्री शिव रूद्राष्टकम का पाठ कर सकते हैं। माना जाता है कि इस स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से साधक को शत्रुओं से मुक्ति मिल सकती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2025) का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि इसलिए खास है क्योंकि इस पावन दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसे में महाशिवरात्रि को शिव-शक्ति के मिलन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन साधक भक्ति भावना के साथ व्रत भी करते हैं।
श्री शिव रूद्राष्टकम (Shri Rudrashtakam Lyrics)
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
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इस स्तोत्र को लेकर कहा जाता है जब भगवान श्रीराम ने रावण जैसे बलशाली शत्रु को हराने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना की थी तब उन्होंने रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अपने शत्रु रावण पर विजय प्राप्त हुई। ऐसे में आप भी महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसर पर इस स्तुति का पाठ कर शिव जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
(Picture Credit: AI Image)
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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