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    Maha Navami 2023: महानवमी पर इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 23 Oct 2023 10:12 AM (IST)

    Maha Navami 2023 महानवमी नवरात्र का अंतिम दिन है। यह दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने इस दिन अपनी पूर्ण दिव्य शक्ति प्रकट की थी। यह वह दिन भी है जब मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को हराया था जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

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    Maha Navami 2023

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Maha Navami 2023: नवरात्र के दौरान नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस खास दिन देवी दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी रूप की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं अनुसार, मां ने महानवमी के दिन राक्षस महिषासुर का वध किया था। साथ ही इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा का भी विधान है। ऐसा कहा जाता है, इस दिन देवी भगवती की आराधना करने जीवन में सुख-समृद्धि सदैव बनी रहती है।

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    महानवमी 2023 तिथि, समय

    नवमी तिथि प्रारंभ - 22 अक्टूबर 2023 शाम 07:58 बजे से

    नवमी तिथि का समापन - 23 अक्टूबर शाम 05:44 बजे।

    यह भी पढ़ें: Sandhi Puja 2023 : नवरात्र पर क्यों की जाती है संधि पूजा ? जानें महत्व और पूजा विधि

    महानवमी का महत्व

    महानवमी नवरात्र का अंतिम दिन है। यह दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने इस दिन अपनी पूर्ण दिव्य शक्ति प्रकट की थी। यह वह दिन भी है, जब मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को हराया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

    महानवमी पूजा विधि

    • महानवमी पर महिषासुरमर्दिनी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा करें।
    • मां को फूल अर्पित करें।
    • मां को कुमकुम लगाएं।
    • मां को हलवा-पूड़ी का भोग लगाएं।
    • दुर्गा चालीस या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
    • मां के मंत्रों से विधि अनुसार हवन करें।
    • कपूर और लौंग की आरती से पूजा का समापन करें।

    देवी दुर्गा प्रार्थना मंत्र

    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

    दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः

    स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।

    दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि त्वदन्या

    सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥॥

    सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।

    शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'