Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Maha Navami 2023: मां सिद्धिदात्री को इस चीज का लगाएं भोग, मिलेगा समस्त सिद्धियों का ज्ञान

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 23 Oct 2023 08:58 AM (IST)

    Maha Navami 2023 महानवमी नवरात्र का आखिरी दिन होता है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां की पूजा से समस्त सिद्धियों का ज्ञान प्राप्त होता है। साथ ही जीवन से हमेशा के लिए अंधकार का अंत होता है। मां की पूजा बेहद शुभ मानी गई है। इसके अलावा यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

    Hero Image
    Maha Navami

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Maha Navami 2023: नवरात्र की नवमी तिथि को मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। यह दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है। साथ ही व्रती इस दिन मां दुर्गा की प्रार्थना करके हवन पूजन, कन्या पूजन करते हैं, जो साधक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आखिरी दिन व्रत कर सकते हैं। यह समय देवी भक्तों के लिए बेहद खास होता है। क्योंकि यह दिन पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां सिद्धिदात्री भोग

    ऐसा कहा जाता है कि माता सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाना चाहिए। साथ ही इस प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने वाले साधक से मां प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

    यह भी पढ़ें : Shardiya Navratri 2023: महाष्टमी तिथि पर 'रवि योग' समेत बन रहे हैं ये 5 संयोग, प्राप्त होगा मां का आशीर्वाद

    मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने का मंत्र

    सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:,असुरैरमरैरपि।

    सेव्यमाना सदा भूयात्,सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

    दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

    दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

    वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम् ।

    कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम् ।।

    महानवमी का महत्व

    महानवमी नवरात्र का आखिरी दिन होता है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां की पूजा से समस्त सिद्धियों का ज्ञान प्राप्त होता है। साथ ही जीवन से हमेशा के लिए अंधकार का अंत होता है।

    मां की पूजा बेहद शुभ मानी गई है। इसके अलावा यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। क्योंकि यह वही दिन है, जिस दिन मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'