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    Magh Shivratri 2024 Date: माघ माह में कब है शिवरात्रि? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    हर महीने में मासिक शिवरात्रि का पर्व कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार माघ महीने में 8 फरवरी मासिक शिवरात्रि है। इस शुभ दिन पर विधिपूर्वक भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को विवाहित और अविवाहित महिलाएं करती हैं। इस दिन पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है।

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 29 Jan 2024 02:56 PM (IST)
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    Magh Shivratri 2024 Date: माघ माह में कब है शिवरात्रि? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Masik Shivratri 2024: हर महीने में मासिक शिवरात्रि का पर्व कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार माघ महीने में 8 फरवरी मासिक शिवरात्रि है। इस शुभ दिन पर विधिपूर्वक भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को विवाहित और अविवाहित महिलाएं करती हैं। आइए जानते हैं माघ शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्रों के बारे में।

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    माघ शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

    दैनिक पंचांग के अनुसार, माघ माह की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 फरवरी को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर होगा और इसके अगले दिन यानी 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार माघ शिवरात्रि का 8 फरवरी को मनाई जाएगी।

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    माघ शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त

    माघ शिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म बेला में उठे। भगवान शिव और मां पार्वती के ध्यान से दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब पंचोपचार कर विधिपूर्वक से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करें। अविवाहित जातक जल्दी विवाह के लिए मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करें और भगवान भोलेनाथ को धतूरा, सफेद रंग के फूल, अक्षत और भांग आदि चीजें अर्पित करें। शिवरात्रि की पूजा में शिव मंत्रों का जाप और शिव चालीसा का पाठ करना शुभ होता है। अंत में भगवान शिव और मां पार्वती को फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    भगवान शिव के मंत्र

    * नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ।।

    * ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।

    * शर्वाय क्षितिरूपाय नंदीसुरभये नमः ।

    ईशाय वसवे सुभ्यं नमः स्पर्शमयात्मने ।।

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    डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'