Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Magh Purnima 2025: माघ पूर्णिमा पर करें इस स्रोत का पाठ, कृपा बरसाएंगी धन की देवी

    इस बार माघी पूर्णिमा (Maghi Purnima 2025) पर महाकुंभ में अमृत स्नान भी किया जाएगा। ऐसे में यह तिथि काफी खास मानी जा रही है। इस दिन पर आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इस दिन पर श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 06 Feb 2025 09:00 PM (IST)
    Hero Image
    Magh Purnima 2025 माघ पूर्णिमा इस तरह करें लक्ष्मी जी को प्रसन्न।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर शुभ मुहूर्त में स्नान-दान करने से साधक को अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। यह तिथि भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए भी काफी उत्तम मानी गई है। इस बार माघ पूर्णिमा, बुधवार 12 फरवरी को मनाई जा रही है। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 05 बजकर 59 मिनट पर तक रहने वाला है। ऐसे में आप इस दिन पर श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ कर सभी प्रकार की धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ॥ श्री कनकधारा स्तोत्र ॥

    अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती

    भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।

    अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला

    माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥1॥

    मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः

    प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि ।

    माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या

    सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥

    विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष –

    मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि ।

    ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध –

    मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥

    आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द –

    मानन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम् ।

    आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं

    भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः ॥4॥

    बाह्वन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या

    हारावलीव हरिनीलमयी विभाति ।

    कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला

    कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः ॥5॥

    कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारे –

    र्धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव ।

    मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति –

    र्भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः ॥6॥

    प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत्प्रभावान्

    माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।

    मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं

    मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः ॥7॥

    दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा –

    मस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।

    दुष्कर्मघर्ममपनीय चिराय दूरं

    नारायणप्रणयिनीनयनाम्बुवाहः ॥8॥

    इष्टा विशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र –

    दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

    दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां

    पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः ॥9॥

    गीर्देवतेति गरुडध्वजसुन्दरीति

    शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।

    सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै

    तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै ॥10॥

    श्री कनकधारा स्तोत्र मुख्य रूप से धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा तिथि पर इस स्तोत्र का पाठ करने मात्र से लक्ष्मी जी आपसे प्रसन्न होती हैं, जिससे साधक की सभी प्रकार की धन संबंधी समस्याएं दूर होने लगती हैं।

    यह भी पढ़ें - Magh Purnima 2025 Daan: माघ पूर्णिमा पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा

    श्रुत्यै नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै

    रत्यै नमोऽस्तु रमणीयगुणार्णवायै।

    शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै

    पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै ॥11॥

    नमोऽस्तु नालीकनिभाननायै

    नमोऽस्तु दुग्धोदधिजन्मभूत्यै।

    नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै

    नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै ॥12॥

    सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि

    साम्राज्यदानविभवानि सरोरुहाक्षि।

    त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि

    मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये ॥13॥

    यत्कटाक्षसमुपासनाविधिः

    सेवकस्य सकलार्थसम्पदः।

    संतनोति वचनाङ्गमानसै –

    स्त्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे ॥14॥

    सरसिजनिलये सरोजहस्ते

    धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे।

    भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे

    त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥15॥

    दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट –

    स्वर्वाहिनीविमलचारुजलप्लुताङ्गीम्।

    प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष –

    लोकाधिनाथगृहिणीममृताब्धिपुत्रीम् ॥16॥

    कमले कमलाक्षवल्लभे

    त्वं करुणापूरतरङ्गितैरपाङ्‌गैः।

    अवलोकय मामकिञ्चनानां

    प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः ॥17॥

    स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमूभिरन्वहं

    त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।

    गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो

    भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः ॥18॥

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    यह भी पढ़ें - Budhaditya Yoga: बुधादित्य योग से इन राशियों की बदलेगी फूटी किस्मत, बिजनेस में होगी खूब कमाई

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।