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    Maa Laxmi 8 Swaroops: मां लक्ष्मी के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप, जानें इनकी महिमा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 09 Oct 2020 08:42 AM (IST)

    Maa Laxmi 8 Swaroops आज मां लक्ष्मी का दिन है। मान्यता है कि आज के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर माता की कृपा हमेशा व्यक्ति पर बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को सुख-समृद्धि और शांति भी मिलती है।

    Maa Laxmi 8 Swaroops: मां लक्ष्मी के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप, जानें इनकी महिमा

    Maa Laxmi 8 Swaroops: आज मां लक्ष्मी का दिन है। मान्यता है कि आज के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर माता की कृपा हमेशा व्यक्ति पर बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को सुख-समृद्धि और शांति भी मिलती है। मां लक्ष्मी की महिमा को तो हम सभी जानते हैं लेकिन इस लेख में हम आपको मां लक्ष्मी के 8 स्वरूपों की जानकारी दे रहे हैं। मां लक्ष्मी के हर स्वरूप की महिमा अपरमपार है। मां लक्ष्मी का हर रूप विभिन्न कामनाओं को पूरा करता है। इनके हर रूप की पूजा करने से व्यक्ति को असीम सम्पदा और धन की प्राप्ति होती है।

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    1. आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी:

    इनका सबसे पहला अवतार है आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी। यह ऋषि भृगु की बेटी के रूप में है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार, महालक्ष्मी ने ही त्रिदेवों को प्रकट किया है और इन्हीं से ही महाकाली और महासरस्वती ने आकार लिया। जीव-जंतुओं को प्राण प्रदान करने वाली आदि लक्ष्मी ही हैं। इनसे जीवन की उत्पत्ति हुई है। आदि लक्ष्मी अपने भक्त को मोक्ष की प्राप्ति कराती हैं।

    2. धन लक्ष्मी:

    मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप है धन लक्ष्मी जो व्यक्ति को धन और वैभव से परिपूर्ण कराती हैं। कहा जाता है कि एक बार कुबेर से भगवान विष्णु ने धन उधार लिया था जो वो समय पर चुका नहीं पाए थे। तब धन लक्ष्मी ने ही विष्णु जी को कर्ज से मुक्त करवाया था। इनके पास धन से भरा कलश मौजूद है। इनके एक हाथ में कमल है। इनकी पूजा से आर्थिक परेशानियों और कर्ज से मुक्ति दिलाती है।

    3. धन्य लक्ष्मी:

    धन्य का अर्थ अनाज होता है। धन्य लक्ष्मी अनाज की दात्री हैं। इन्हें माता अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है। हर यह देवी अन्न स्वरूप में विराजमान होती हैं। धन्य लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है कि कभी-भी अन्न की बर्बादी न करें। जिन घरों में अन्न का निरादर नहीं होता है वहीं अन्न का भंडार रहता है।

    4. गज लक्ष्मी:

    गज लक्ष्मी कमल पुष्प के ऊपर हाथी पर विराजमान हैं। इन्हें कृषि और उर्वरता की देवी भी कहा गया है। इन्होंने भगवान इंद्र को सागर की गहराई से उनके खोए न को वापस हासिल करने में मदद की थी। इन्हें राजलक्ष्मी भी कहा गया है क्योंकि ये राज को समृद्धि प्रदान कराती हैं। जो लोग कृषिक्षेत्र से जुड़े हैं और जिनकी संतान की इच्छा है, उन्हें इनकी पूजा करनी चाहिए।

    5. संतान लक्ष्मी:

    संतान लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का पांचवा स्वरूप हैं। यह बच्चों और अपने भक्तों को लम्बी उम्र प्रदान करने का रूप है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार, सनातना देवी अपनी गोद में बालक कुमार स्कंद को लिए बैठी हैं। इनका स्वरूप स्कंदमाता जैसा है। इनकी 4 भुजाएं हैं जिनमें दो भुजाओं में कलश धारण और बाकी की दो में तलवार और ढाल है। यह अपने भक्तों की रक्षा अपने संतान जैसे करती हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

    6. वीरा लक्ष्मी:

    वीरा लक्ष्मी, वीरों और सहसी लोगों की आराध्य हैं। यह अपने भक्तों को युद्ध में विजय प्राप्त कराती हैं। इनकी आठ भुजाएं हैं जिनमें इन्होंने अलग-अलग तरह के अस्त्र-शस्त्र धारण किए हैं। वारी लक्ष्मी व्यक्ति को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति कराती हैं।

    7. विजया लक्ष्मी या जाया लक्ष्मी:

    विजया का अर्थ जीत होता है। देवी का यह स्वरूप जीत का प्रतीक है। इन्हें जाया लक्ष्मी भी कहा जाता है। विजया लक्ष्मी ने लाल साड़ी पहनी है और एक कमल पर बैठी हैं। मांस अष्टभुजी हैं और व्यक्ति को अभय प्रदान करती हैं।

    8. विद्या लक्ष्मी:

    विद्या लक्ष्मी ज्ञान की देवी हैं। मां का यह रूप हमें ज्ञान, कला और विज्ञान की शिक्षा प्रदान करता है। विद्या लक्ष्मी ने सफेद साड़ी पहनी है। इनका स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता से मिलता-जुलता है जो मां दुर्गा का रूप हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता और ज्ञान की प्राप्ति होती है।  

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'