Laxmi Mantra: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद
धन की देवी मां लक्ष्मी की महिमा निराली है। अपने भक्तों पर मां लक्ष्मी विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में मंगल ही मंगल होता है। साथ ही सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। शुक्रवार के दिन बड़ी संख्या में साधक मां लक्ष्मी की पूजा (Maa Laxmi Puja Vidhi) करने हेतु मंदिर जाते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 28 फरवरी को वैभव लक्ष्मी व्रत है। यह पर्व हर शुक्रवार को मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को महिलाएं करती हैं। हालांकि, वैभव लक्ष्मी व्रत स्त्री और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं।
धार्मिक मत है कि धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष भी आर्थिक तंगी या दरिद्रता दूर करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
5. ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।
6. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
7. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
8. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
9. ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
10. लक्ष्मी ध्यानम
सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,
कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।
हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,
आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥
भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,
रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।
नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,
पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,
पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥
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