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    Maa Kalratri: मां काली के इन दिव्य मंत्रों से दूर होंगी नकारात्मक शक्तियां, भाव के साथ करें इनका जाप

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sat, 03 Feb 2024 12:29 PM (IST)

    मां काली की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी काली की जो भक्त सच्चे दिल से आराधना करते हैं उनके जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां रुक नहीं पाती हैं। साथ ही गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। अगर आप माता काली को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके मंत्रों का जाप करें जो इस प्रकार हैं -

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    Maa Kalratri: मां काली के इन दिव्य मंत्रों से दूर होंगी नकारात्मक शक्तियां

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Maa Kalratri: शनिवार के दिन मां काली की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि देवी काली की पूजा से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी काली की जो भक्त सच्चे दिल से आराधना करते हैं उनके जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां रुक नहीं पाती हैं। साथ ही गुप्त शत्रुओं का नाश होता है।

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    अगर आप माता काली को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उनकी विशेष पूजा करें। इसके साथ ही उनके मंत्रों का जाप करें, जो यहां दिए गए हैं -

    मां काली के दिव्य मंत्र

    1 - ॐ कालरात्र्यै नम:।

    2 - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै

    3 - एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

    वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

    4 - जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।

    जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥

    5 - ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।

    एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।

    6 - या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

    7- एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

    लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

    वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

    वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

    8 - क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

    9 - ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।

    त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।

    10 - ओम देवी कालरात्र्यै नमः।

    11 - 'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।'

    माता काली की आरती

    ''अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

    तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती

    तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी

    दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी

    सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,

    दुशटन को तू ही ललकारती

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती

    माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता

    पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता

    सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,

    दुखीं के दुक्खदे निवर्तती

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती

    नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना

    हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना

    सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,

    सतियो के सत को संवरती

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती

    चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली

    वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली

    माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,

    भक्तो के करेज तू ही सरती

    हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती

    अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली

    तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती''।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।