Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Maa Kali Pujan: शनिवार को करें माता काली की विशेष पूजा, होगी गुप्त शत्रुओं से रक्षा

    Updated: Sat, 20 Apr 2024 08:14 AM (IST)

    जो जातक माता काली को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें नवरात्रि के साथ इस दिन भी उनकी आराधना करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है जो लोग मां काली की शनिवार के दिन भाव के साथ पूजा करते हैं उनके सभी संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही गुप्त शत्रुओं से रक्षा होती है। इसके अलावा काली चालीसा के पाठ से भी माता काली प्रसन्न होती हैं।

    Hero Image
    Maa Kali Chalisa Ka Path: काली चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maa Kali Chalisa Ka Path: धार्मिक दृष्टि से शनिवार का दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन कई देवी-देवताओं की पूजा होती है, जिसमें माता काली की पूजा भी शामिल है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक मां काली को प्रसन्न करना चाहते हैं, उन्हें नवरात्रि के साथ इस दिन भी उनकी आराधना करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है जो लोग मां काली की शनिवार के दिन भाव के साथ पूजा करते हैं उनके सभी संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही गुप्त शत्रुओं से रक्षा होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसके अलावा 'काली चालीसा' के पाठ से भी माता काली प्रसन्न होती हैं, तो क्यों न इस आसान माध्यम से खुश किया जाए ? जो इस प्रकार है -

    ॥'काली चालीसा'॥

    ॥दोहा॥

    जयकाली कलिमलहरण,

    महिमा अगम अपार ।

    महिष मर्दिनी कालिका,

    देहु अभय अपार ॥

    ॥ चौपाई ॥

    अरि मद मान मिटावन हारी ।

    मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥

    अष्टभुजी सुखदायक माता ।

    दुष्टदलन जग में विख्याता ॥

    भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।

    कर में शीश शत्रु का साजै ॥

    दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।

    हाथ तीसरे सोहत भाला ॥4॥

    चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।

    छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥

    सप्तम करदमकत असि प्यारी ।

    शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥

    अष्टम कर भक्तन वर दाता ।

    जग मनहरण रूप ये माता ॥

    भक्तन में अनुरक्त भवानी ।

    निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥8॥

    महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।

    तू ही काली तू ही सीता ॥

    पतित तारिणी हे जग पालक ।

    कल्याणी पापी कुल घालक ॥

    शेष सुरेश न पावत पारा ।

    गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥

    तुम समान दाता नहिं दूजा ।

    विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥12॥

    रूप भयंकर जब तुम धारा ।

    दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥

    नाम अनेकन मात तुम्हारे ।

    भक्तजनों के संकट टारे ॥

    कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।

    भव भय मोचन मंगल करनी ॥

    महिमा अगम वेद यश गावैं ।

    नारद शारद पार न पावैं ॥16॥

    भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।

    तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥

    आदि अनादि अभय वरदाता ।

    विश्वविदित भव संकट त्राता ॥

    कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।

    उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥

    ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।

    काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥20॥

    कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।

    अरि हित रूप भयानक धारे ॥

    सेवक लांगुर रहत अगारी ।

    चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥

    त्रेता में रघुवर हित आई ।

    दशकंधर की सैन नसाई ॥

    खेला रण का खेल निराला ।

    भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥24॥

    रौद्र रूप लखि दानव भागे ।

    कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥

    तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।

    स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥

    ये बालक लखि शंकर आए ।

    राह रोक चरनन में धाए ॥

    तब मुख जीभ निकर जो आई ।

    यही रूप प्रचलित है माई ॥28॥

    बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।

    पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥

    करूण पुकार सुनी भक्तन की ।

    पीर मिटावन हित जन-जन की ॥15॥

    तब प्रगटी निज सैन समेता ।

    नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥

    शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।

    तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥32॥

    मान मथनहारी खल दल के ।

    सदा सहायक भक्त विकल के ॥

    दीन विहीन करैं नित सेवा ।

    पावैं मनवांछित फल मेवा ॥17॥

    संकट में जो सुमिरन करहीं ।

    उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥

    प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।

    भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥36॥

    काली चालीसा जो पढ़हीं ।

    स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥

    दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।

    केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥

    करहु मातु भक्तन रखवाली ।

    जयति जयति काली कंकाली ॥

    सेवक दीन अनाथ अनारी ।

    भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥40॥

    ॥दोहा॥

    प्रेम सहित जो करे,

    काली चालीसा पाठ ।

    तिनकी पूरन कामना,

    होय सकल जग ठाठ ॥

    यह भी पढ़ें: Aaj Ka Panchang 20 April 2024: जानिए शनिवार का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय, पढ़ें दैनिक पंचांग

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।