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    जब अपने ही गुरु पर शनिदेव ने डाली थी व्रक दृष्टि, धरती पर भटकने के लिए मजबूर हो गए थे कैलाशपति

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 02:09 PM (IST)

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनि देव न्याय के देवता और कर्मफलदाता कहे जाते हैं। वहीं भगवान शिव उनके गुरु के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि एक बार शनिदेव ने अपने गुरु पर ही वक्री दृष्टि डाली थी जिस कारण शिव जी को कैलाश पर्वत तक छोड़ना पड़ा था। चलिए जानते हैं इस अद्भुत कथा के बारे में।

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    Lord shiva and Shani Dev story in hindi

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर शनि की वक्री दृष्टि पड़ जाए, उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि की वक्री दृष्टि से तो राजा हरिश्चंद्र भी नहीं बच पाए थे। आज हम आपको एक ऐसी अद्भुत कथा बताने जा रहे हैं, जिसमें आपको पता चलेगा कि आखिर शनिदेव ने अपने ही आराध्य देव अर्थात भगवान शिव पर अपनी वक्री दृष्टि क्यों डाली और इसका महादेव पर क्या प्रभाव पड़ा। 

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    महादेव से मिलने पहुंचे शनिदेव

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार शनिदेव, शिव जी से भेंट करने कैलाश पर्वत पहुंचे। तब उन्होंने महादेव से कहा कि 'हे प्रभु! कल मैं आपकी राशि में आने वाला हूं, जिसका अर्थ है कि मेरी वक्र दृष्टि आपके ऊपर पड़ने वाली है। कृपया इसके लिए तैयार हो जाएं।"

    इसके बाद शनि की दृष्टि से बचने के लिए भगवान शिव मृत्युलोक अर्थात पृथ्वी लोक पर गए और उन्होंने एक हाथी का रूप धारण किया। महादेव को लगा कि इस तरह वह शनि की वक्र दृष्टि से बचे रहेंगे। शाम होने के बाद भगवान शिव के मन में यह विचार आया कि अब तो दिन बीत चुका है, ऐसे में शनि की दृष्टि का अब मुझपर कोई असर नहीं होगा।

    (Picture Credit: Freepik)

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    कैलाश लौटे महादेव

    भगवान शिव पुनः कैलाश पर्वत लौट आए। जैसे ही भगवान शिव कैलाश पर्वत पर पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि शनिदेव उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। तब शनिदेव ने शिव जी को प्रणाम किया। इसपर महादेव मुस्कराकर बोले कि आपकी दृष्टि का मुझपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

    इसपर शनिदेव ने उत्तर दिया कि मेरी दृष्टि के कारण ही आपको सवा प्रहर के लिए देव योनी को छोड़कर पशु योनी में रहना पड़ा। यह सुनकर महादेव प्रसन्न हुए कि किस प्रकार शनिदेव ने अपना कर्तव्य पूरा किया और शनिदेव को आशीर्वाद दिया। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।