Laxmi Vaibhav Vrat पर दुर्लभ 'इंद्र' योग समेत बन रहे हैं ये शुभ योग, होगी दोगुने फल की प्राप्ति
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को समर्पित लक्ष्मी वैभव व्रत किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक को धन वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शुक्रवार 19 जुलाई के दिन लक्ष्मी वैभव व्रत पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान पूजा करने से साधक को दोगुना फल प्राप्त हो सकता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माता लक्ष्मी को समर्पित लक्ष्मी वैभव व्रत स्त्री या पुरुष दोनों द्वारा किया जाता है। इस व्रत में पूजा मुख्य रूप से सूर्योदय के बाद की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए उन्हें पूजा के दौरान सफेद या लाल फूल, श्वेत चंदन और चावल से बनी खीर अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से साधक और उसके परिवार पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस दिन पर कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं, जो साधक को विशेष लाभ पहुंचा सकते हैं।
बन रहे हैं ये शुभ योग
इन्द्र योग -
इंद्र योग 19 जुलाई को देर रात 2 बजकर 41 मिनट तक रहने वाला है। इस योग को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं।
रवि योग -
लक्ष्मी वैभव व्रत के दिन रवि योग का निर्माण प्रातः 05 बजकर 35 मिनट से हो रहा है, जो रात्रि 11 बजकर 21 मिनट कर रहने वाला है। सूर्यदेव से संबंधित इस योग को एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
करण -
लक्ष्मी वैभव व्रत के दिन कौलव करण का योग बन रहा है, जो 19 जुलाई सुबह 08 बजकर 18 मिनट तक रहने वाला है। इस योग में लक्ष्मी जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
यह भी पढ़ें - Maa Laxmi Upay: मां लक्ष्मी को न अर्पित करें ये चीजें, वरना झेलनी पड़ सकती है नाराजगी
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 5 बजकर 35 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 7 बजकर 18 मिनट पर
यह भी पढ़ें - Lakshmi Puja: धन की देवी लक्ष्मी को जरूर चढ़ाएं ये फूल, बने रहेंगे कृपा के पात्र
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।