क्षीर सागर: धार्मिक ही नहीं इतिहास का साक्षी है
श्रीकृष्ण के अग्रज ठाकुर श्री दाऊजी महाराज की जन्मस्थली बलदेव में ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व का क्षीर सागर कुंड आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। न पर्यटन विभाग को इसकी फिक्र है और न ही शासन-प्रशासन को। आज इस कुंड में मछलियां मरी पड़ी हैं, पानी से बदबू आती है। कुंड के जल का आचमन करना तो दूर अब इसमें स्नान
मथुरा (बलदेव)। श्रीकृष्ण के अग्रज ठाकुर श्री दाऊजी महाराज की जन्मस्थली बलदेव में ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व का क्षीर सागर कुंड आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। न पर्यटन विभाग को इसकी फिक्र है और न ही शासन-प्रशासन को। आज इस कुंड में मछलियां मरी पड़ी हैं, पानी से बदबू आती है। कुंड के जल का आचमन करना तो दूर अब इसमें स्नान करने से भी श्रद्धालु परहेज करने लगे हैं।
क्षीरसागर के जल में हजारों मछलियां मरी पड़ी हैं। जल प्रदूषित हो गया है, लेकिन किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। इससे श्रद्धालुओं व बलदेव वासियाें की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। क्षीरसागर का स्वरूप लगातार बिगड़ता जा रहा है। तमाम बार कहने पर भी पर्यटन विभाग के अफसरों ने इस पर ध्यान देना उचित नहीं समझा। हालात यह है कि क्षीरसागर के जल में दिन-ब-दिन मछलियों का मरना आम बात हो गई। क्षीरसागर का जल प्रदूषित होता जा रहा है। मछली मरने व प्रदूषण के कारण जल का रंग भी बदरंग हो गया है और पानी से बदबू आती है। लोगों का अपने घरों के बाहर बैठना भी दुश्वार हो गया है। दूषित जल के कारण संक्रामक बीमारियों का सामना बलदेव वासियों को करना होगा। लोगों का कहना है कि श्रद्धालुओं को स्नान करने और आचमन लेने में काफी आहत होना पड़ता है।
बलदेव स्थित क्षीर सागर जहां इसका पानी गंदा हो चुका है। वर्ष 1769 में मुगल शासक अहमद शाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण किया था, उस समय के बादशाह गौहर अली की सेना से उन्होंने डटकर मुकाबला किया। युद्ध में गौहर अली बुरी तरह घायल हो गया। उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। राज वैद्य की सलाह पर उसे बलदेव लाया गया। यहां उसके शरीर पर क्षीर सागर की कीचड़ का लेप किया गया। इस कीचड़ ने संजीवनी काम किया। गौहर अली शाह आलम स्वस्थ्य होने पर इससे काफी प्रभावित हुए। उसके बाद कुंड पक्का कराया।
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