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    Lalita Jayanti 2024: पूर्णिमा पर मनाई जाएगी ललिता जयंती, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

    Updated: Fri, 23 Feb 2024 12:17 PM (IST)

    माना जाता है कि ललिता देवी की विधि-विधान से पूजा करने से साधक कई सिद्धियों की प्राप्ति कर सकता है। इस साल यानी 2024 में 24 फरवरी शनिवार के दिन ललिता जयंती मनाई जाएगी। कई साधक इस विशेष अवसर पर मां ललिता की कृपा प्राप्ति के लिए व्रत आदि भी करते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं ललिता जयंती की कथा।

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    Lalita Jayanti 2024 Date पढ़िए मां ललिता की पौराणिक कथा.

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lalita Jayanti 2024 Date: हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर ललिता जयंती मनाई जाती है। यह दिन माता ललिता को समर्पित माना जाता है, जो माता सती का ही रूप हैं। शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि माता ललिता दस महाविद्याओं में से तीसरी महाविद्या हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ललिता जयंती पर पूरे विधि-विधान से माता ललिता की पूजा करने से साधक को सुख-वैभव की प्राप्ति हो सकती है। 

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    ललिता जयंती की कथा (Lalita Mata Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, जब एक बार माता सती के पिता दक्ष यज्ञ करवा रहे थे, जिनमें उन्होंने शिव जी को आमंत्रित नहीं किया। लेकिन माता पार्वती यज्ञ में जाने की जिद करने लगीं। भगवान शंकर के मना करने पर वह उनसे अनुमति लिए बिना ही दक्ष प्रजापति के यज्ञ में पहुंच गईं। वहां, दक्ष ने शिव जी का अपमान किया, जो माता सती सुन सकीं। खुद को अपमानित महसूस करते हुए सती ने अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।

    भगवान विष्णु ने उठाया ये कदम

    इस बात का पता चलने पर महादेव क्रोधित हो उठे। उन्होंने मां सती के शव को कंधे पर उठाया और उन्मत्त भाव से इधर-उधर घूमने लगे। इस दौरान पूरे विश्व की व्यवस्था छिन्न भिन्न होने लगी। ऐसे में स्थिति को संभालने के लिए विष्णु जी ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। उनके अंग जहां-जहां गिरे वह उन्हीं आकृतियों में वहां विराजमान हुईं। आज यह स्थान शक्तिपीठ के नाम से जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक स्थान मां ललिता का भी है।

    यहां गिरा था सती का हृदय

    बताया जाता है कि नैमिषारण्य में माता सती का हृदय गिरा था। यह एक लिंग्धारिणी शक्तिपीठ स्थल माना जाता है। इस स्थान पर भगवान शिव की लिंग स्वरूप में पूजा की जाती है। इसी के साथ माता ललिता की भी पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, अन्य मान्यताओं के अनुसार माता सती ने शिव जी को हृदय में धारण किया था, इसलिए नैमिष में लिंग्धारिणी नाम से प्रसिद्ध माता को ललिता देवी के नाम से भी पुकारा जाता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'