Kundali Dosh: कौन-से हैं कुंडली के 5 सबसे खतरनाक दोष, जानिए इनके उपाय
ज्योतिष शास्त्र में शास्त्र में गुण-दोष को विशेष महत्व दिया गया है। यह सभी व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में 5 ऐसे दोष बताए गए हैं जो व्यक्ति के लिए बहुत खतरनाक साबित होते हैं। आइए जानते हैं कि इन दोषों से मुक्ति के लिए कौन-से उपाय करना बेहतर रहता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Kundali Dosh: व्यक्ति की कुंडली में दोष होने पर उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि कुंडली के वह कौन-से सबसे बड़े दोष हैं जिनके कारण व्यक्ति के जीवन में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। साथ ही इनके उपाय भी बताए गए हैं।
1. सबसे खतरनाक है ये दोष
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसके जीवन में समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं लेती। यह कुंडली में दो स्थितियां होने पर बनता है। पहली स्थिति- कुंडली में कालसर्प दोष राहु और केतु के एक साथ आने से होता है। दूसरी स्थिति -यदि सभी सात प्रमुख ग्रह, राहु और केतु ग्रह की धुरी के भीतर होते हैं तो भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष उत्पन्न होता है।
मुक्ति के उपाय
चांदी के सर्प का जोड़ा बनाकर, सोमवार या शिवरात्रि या नागपंचमी को दूध में रखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। मंगलवार के दिन नाग देवता को दूध पिलाएं। मंगलवार के दिन राहु और केतु के लिए अग्नि अनुष्ठान करें। नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करें। पंचमी तिथि के दिन 8 प्रमुख नागों की पूजा करें।
2. मंगल दोष
स्थिति- जब कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है, तब मांगलिक दोष लगता है। मंगल ग्रह की ऐसी स्थिति वैवाहिक जीवन के लिए अच्छी नहीं मानी जाती।
मंगल दोष के उपाय
मंगल दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मंगल ग्रह की शांति पूजा करनी चाहिए। मंगलवार के दिन व्रत रखें और हनुमान मंदिर जाकर बूंदी का प्रसाद बांटे। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें और हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।
3. पितृ दोष
स्थिति - जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु के साथ सूर्य का संयोजन हो या केतु के साथ सूर्य ग्रह का संयोजन हो तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष बनता है। पितृ दोष लगने से घर में परिवार के सदस्यों के बीच तनाव रहता है। साथ ही परिवार में कोई न कोई सदस्य अवश्य बीमार रहता है।
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
सूर्य देव के सामने अपने पितरों की शांति की प्रार्थना करें। साल में एक बार किसी पवित्र नदी के किनारे पितरों के निमित्त गरीबों को भोजन दें। प्रतिदिन कौवों व पक्षियों को खाना खिलाएं। काशी और गया अवश्य जाएं और वहां अपने दिवंगत पूर्वजों का तर्पण करें।
4. गुरु चांडाल दोष
स्थिति - कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो गुरु चांडाल दोष बन जाता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
मुक्ति के उपाय
प्रत्येक गुरुवार के दिन बृहस्पति देव और भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करना चाहिए। बृहस्पतिवार के दिन पीली चीजों से गुड़, चने की दाल आदि का दान करना चाहिए। गाय को पीला भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा प्रतिदिन गायत्री मंत्र या ऊँ गुरुवे नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
5. केन्द्राधिपति दोष
स्थिति - जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है तो उसको केन्द्राधिपति दोष लग जाता है। इस दोष के कारण करियर, शिक्षा में सफलता हाथ नहीं लगती। साथ ही व्यवसाय संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं।
दोष से मुक्ति के उपाय
शिव मंदिर जाकर प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें। रोजाना 11 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन 21 बार ॐ नमो नारायण का जाप करें।
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