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    Kumbh Sankranti 2025: कुंभ संक्रांति पर करें सूर्य देव की भव्य आरती, सौभाग्य में होगी वृद्धि

    कुंभ संक्रांति का त्योहार हर साल पूर्ण भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 12 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि से कुंभ में प्रवेश करते हैं। ऐसे में जो भक्त इस दिन (Makar Sankranti 2025) उनकी विधिवत पूजा करते हैं उनके भाग्य खुल जाते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 10 Feb 2025 08:50 AM (IST)
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    Kumbh Sankranti 2025: कुंभ संक्रांति की पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कुंभ संक्रांति सूर्य के मकर से कुंभ राशि गोचर का प्रतीक है, जो बेहद शुभ संयोग होता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें गंगा स्नान, सूर्य की उपासना, हवन, दान आर पुण्य शामिल है। ऐसा कहा जाता है कि इस जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उन्हें सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कुंभ संक्रांति का पर्व 12 फरवरी 2025, दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

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    वहीं, इस दिन सूर्य देव की आरती (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti) भी जरूर करनी चाहिए, जो पूजा का अहम हिस्सा मानी गई है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

    ।।भगवान सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।