Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Krishna Morpankh: भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में था कौन-सा योग, जिसके कारण वह धारण करते थे मोर पंख

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sun, 28 May 2023 12:31 PM (IST)

    भगवान श्री कृष्ण के कई नाम हैं जो उन्हें उनके श्रृंगार या लीलाओं के कारण मिले हैं। जैसे मुरली धारण करने के कारण उन्हें मुरलीधर नाम मिला। वहीं हमेशा सिर पर मोर पंख पहनने के कारण उनका नाम मोर मुकुट धारी पड़ा।

    Hero Image
    Krishna Morpankh सिर पर मोर मुकुट क्यों धारण करते थे भगवान कृष्ण।

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Krishna Morpankh: कृष्ण भगवान को मोरपंख बहुत प्रिय है। यह उनके श्रृंगार का एक अभिन्न हिस्सा है। इसलिए वह हमेशा अपने मुकुट पर मोर पंख धारण किए रहते हैं। इसी कारण उन्हें मोर मुकुट धारी भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण के हर रूप में चाहे वह विष्णु हो या बाल गोपाल, आपको मोर पंख अवश्य देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि आखिर भगवान कृष्ण क्यों मोर पंख धारण करते थे। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भगवान कृष्ण की कुंडली में था कौन-सा योग

    ज्योतिष की माने तो भगवान कृष्ण की कुंडली में कालसर्प योग था। वहीं सांप और मोर का आपस में बैर माना जाता है। इसलिए कालसर्प योग के दुष्परिणामों से बचने के लिए कृष्ण जी मोर पंख धारण किया करते थे।

    क्या है पौराणिक कथा

    भगवान कृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कहानी यह भी है कि एक बार जब कान्हा जी की मुरली की धुन पर राधा जी नृत्य कर रही थी। तभी कुछ मोर भी वहां आ गए और नाचने लगे। नृत्य के दौरान एक मोर का पंख नीचे गिर गया। जिसे कृष्ण जी ने राधा के प्रेम का प्रतीक समझकर अपने सिर पर धारण कर लिया। तभी से वह अपने मुकुट में मोर पंख जरूर धारण करते हैं।

    मोर पंख द्वारा भगवान क्या देते हैं संदेश

    भगवान श्रीकृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे एक कारण और भी माना गया है। उनके बड़े भाई बलराम, शेष नाग के अवतार थे। मोर और नाग एक दूसरे के शत्रु माने जाते हैं। वहीं कृष्ण जी मोर पंख धारण करके यह संदेश देते हैं कि उनके मन में शत्रु के लिए भी विशेष स्थान है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'