Janmashtami 2022: राजस्थान में मौजूद खाटू श्याम जी का क्यों पड़ा ये नाम
Janmashtami 2022 महाभारत युद्ध के दौरान जब भीम के पौत्र बर्बरिक ने हारने वाले पक्ष की तरफ से युद्ध लड़ने की बात की तो भगवान श्रीकृष्ण के मन में यह कल्मष आया कि अगर बर्बरिक पांडवों के खिलाफ युद्ध लड़ेंगे तो पांडवों के लिए यह जीतना कठिन हो जाएगा।

Janmashtami 2022: खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। इस मंदिर में खाटू श्याम जी की प्रतिमा स्थापित है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु खाटू श्याम बाबा के दरबार आते हैं। धार्मिक मान्यता है कि बाबा के दरबार में सच्चे मन से साधक जो भी मांगता है। उसकी मुराद अवश्य पूर्ण होती है। लोगों का खाटू श्याम जी के प्रति अगाध श्रद्धा और भाव है। यह मंदिर प्राचीन काल से सीकर जिले में स्थित है। कालांतर से खाटू शयम जी यहां विराजते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि खाटू श्याम जी कौन हैं और क्यों इनका नाम श्याम यानी भगवान श्रीकृष्ण जी से जुड़ा है ? अगर नहीं जानते हैं, तो आइए जानते हैं-
क्या है कथा ?
धार्मिक शास्त्रों में निहित है कि महाभारत युद्ध के दौरान जब भीम के पौत्र बर्बरिक ने हारने वाले पक्ष की तरफ से युद्ध लड़ने की बात की, तो भगवान श्रीकृष्ण के मन में यह कल्मष आया कि अगर बर्बरिक पांडवों के खिलाफ युद्ध लड़ेंगे, तो पांडवों के लिए यह जीतना कठिन हो जाएगा। बर्बरिक के बारे में ऐसा कहा जाता था कि वह भगवान श्रीराम के बाद सबसे बड़े धनुर्धर थे। यह जान भगवान श्रीकृष्ण सुबह के समय ब्राह्मण वेश में दान के लिए बर्बरिक के पास जा पहुंचें। उस समय बर्बरिक ने दान मांगने को कहा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-मैं जो मागूंगा वो तुम नहीं दे पाओगे। यह सुन बर्बरिक ने कहा-आप दान मांगे। उस समय भगवान ने बर्बरिक से उसका शीश माँगा। यह सुन बर्बरिक ने तत्काल अपना शीश प्रभु को दे दिया। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को खाटू श्याम नाम दिया और कहा-कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे। कहा जाता है कि जिस जगह पर बर्बरीक का शीश रखा गया। उस जगह पर आज भी खाटू श्याम जी विराजते हैं। कालांतर से खाटू श्याम की पूजा की जाती है।
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