Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shri Krishna and Sudama : दो मुट्ठी चावल के लिए दे दिए 2 लोक, पढ़ें श्री कृष्ण और मित्र सुदामा की यह अनोखी कथा

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Tue, 10 Jan 2023 09:50 PM (IST)

    Shri Krishna and Sudama यह कहावत तो आपने सुनी होगी हरि अनंत हरि कथा अनंता। ऐसे ही श्री कृष्ण की लीलाएं भी अनंत हैं। दोस्त और उनके लिए श्री कृष्ण का समर्पण अद्भुत था। इसी से जुड़ी एक कहानी सुनाई पंडित देव नारायण ने।

    Hero Image
    Shri Krishna and Sudama: कृष्ण कथा में अपने मित्रों के लिए कृष्ण का समर्पण भी अद्भुत दर्शाया गया है।

    नई दिल्ली, Shri Krishna and Sudama: कृष्ण कथा में भगवान श्री कृष्ण के तमाम गुणों के साथ उनके प्रेम और स्नेह की भी अनेक कथाएं कहीं जाती हैं। जहां ब्रज की गोपियों के साथ उनका प्रेम पारलौकिक कहा जाता है। वहीं अपने मित्रों के लिए उनका समर्पण भी अद्भुत दर्शाया गया है। चाहे वह अर्जुन के साथ उनकी मित्रता हो या सुदामा के लिए उनका स्नेह, दोनों ही चरम आदर्श स्थापित करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भावपूर्ण है कृष्ण और सुदामा की मैत्री

    यूं तो हम सभी ने कृष्ण और सुदामा की मैत्री के बारे में कभी ना कभी अवश्य पढ़ा और सुना होगा। इसके बाद भी जब हम उनकी कथा सुनते हैं, मन भावुक हो जाता है। अपने मित्र के लिए किसी भी हद तक जाकर उसकी मदद करना कृष्ण जैसे महानायक के लिए ही संभव है। चाहे बचपन में, गुरुकुल में शिक्षा लेते हुए, उनके साथ भिक्षा के लिए जाना हो, या फिर वर्षों बाद राज्य आगमन पर आंसुओं से सुदामा के पैर धोना हो‌ सभी प्रगाढ़ दोस्ती की अद्भुत मिसाल है।

    दो मुट्ठी चावल और 2 लोक की संपत्ति

    गुरुकुल में शिक्षा पूरी होने के बाद कृष्ण और सुदामा अपने अपने घरों में वापस चले गए। ब्राह्मण सुदामा वेद पाठ के बाद भिक्षाटन से जीवन यापन करने लगे, और कृष्ण राजनीतिज्ञ बन द्वारिकाधीश बन गए। गृहस्थ जीवन में प्रवेश के बाद सुदामा बेहद विपन्नता में जीवन व्यतीत करने लगे। तब उनकी पत्नी ने कहा कि वे अपने मित्र द्वारकाधीश श्री कृष्ण से सहायता मांगे। पत्नी के जोर देने पर इच्छा के विपरीत सुदामा श्री कृष्ण से मिलने पहुंचे। जब कृष्ण को अपने मित्र के आगमन का समाचार मिला, तो वे नंगे पांव दौड़ कर, द्वार पर उन्हें लेने आए।

    सुदामा की दीन अवस्था देखकर, श्री कृष्ण इतने भावुक हो गए कि उनके आंसुओं के जल से ही सुदामा के चरण भूलने लगे। इसके बाद कृष्ण ने उनसे पूछा कि मित्र तुम मेरे लिए क्या लाए हो। शरमाते हुए सुदामा ने पत्नी द्वारा दी गई चावलों की पोटली आगे कर दी। कृष्ण जी ने वह पोटली प्रसन्नता के साथ सुदामा के हाथ से ले ली, और एक के बाद एक उसमें से दो मुट्ठी चावल खा लिए। इस प्रक्रिया के साथ ही 2 लोक की संपत्ति सुदामा के नाम कर दी।

    रुक्मिणी ने थामा हाथ

    तीसरी मुट्ठी चावल खाने को तत्पर श्री कृष्ण का हाथ उनकी पटरानी रुक्मणी ने थाम लिया। सभी लोग विस्मय से रुकमणी को देखने लगे, कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया। तब रुक्मणी ने कहा प्रभु आपने दो मुट्ठी में 2 लोक तो दान कर दिए हैं। अब तीसरा मत कीजिए, वरना हम सब और आपकी प्रजा कहां जाएंगे। इस पर कृष्ण रुक गए और सुदामा को प्रेम पूर्वक उनके घर के लिए, वस्त्र आभूषण के साथ विदा किया।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।