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    Kojagiri Purnima 2021: आज है कोजागिरी पूर्णिमा, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 19 Oct 2021 04:19 PM (IST)

    Kojagiri Purnima 2021 अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागिरी का शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा है? इस पूर्णिमा पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है इसलिए इसे जागृत पूर्णिमा भी कहते है।

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    आज है कोजागिरी पूर्णिमा, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

    Kojagiri Purnima 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार वर्ष भर में बारह पूर्णिमा की तिथियां आती हैं। इनमें से अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कोजागिरी का शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा है? इस पूर्णिमा पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है इसलिए इसे जागृत पूर्णिमा भी कहते है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा पर रात्रि काल में मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती हैं। जिस घर में इस रात्रि मां लक्ष्मी का पूजन और जागरण होता है, उस घर में वो प्रवेश करती हैं। मां लक्ष्मी के प्रवेश से दरिद्रता का नाश होता है तथा सुख और संपन्नता का आगमन। आइए जानते हैं कोजागिरी पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में....

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    कोजागिरी पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त

    कोजागिरी या शरद पूर्णिमा हिंदी पंचांग के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल अश्विन पूर्णिमा की तिथि 19 अक्टूबर को शाम 07 बजे से शुरू हो कर 20 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा का पूजन सांय काल में चंद्रोदय के बाद किया जाता है। इस दिन पूजन का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 27 मिनट पर चंद्रोदय के बाद रहेगा।

    कोजागिरी पूर्णिमा की पूजन विधि

    पौराणिक कथा के अनुसार कोजागिरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि दीपावली के पूर्व इस दिन मां लक्ष्मी रात्रि भ्रमण पर निकलती हैं। इस दिन घर की साफ-सफाई जरूर करनी चाहिए, क्योकिं मां लक्ष्मी साफ और स्वच्छ घर में ही प्रवेश करती हैं। इसके साथ ही कोजागिरी पूर्णिमा का पूजन रात्रि काल में चंद्रोदय के बाद करने का विधान है। इस रात्रि में अष्ट लक्ष्मी का पूजन कर उन्हें खीर का भोग लगाया जाता है। खीर को एक पात्र में साफ कपड़े से बांध कर चंद्रमा की रोशनी में रात भर के लिए रख देना चाहिए। सुबह प्रसाद रूप में ग्रहण करने से घर में संपन्नता का आगमन होता है। इस रात्रि आकाश दीप जलाने को भी शुभ माना जाता है।

    डिस्क्लेमर

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

     

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