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    Kojagari Puja 2025: कब की जाएगी कोजागरी पूजा, मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए जरूर करें ये काम

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 05:57 PM (IST)

    स्कन्द पुराण में कोजगर व्रत (Kojagar Puja 2025) को एक सर्वश्रेष्ठ व्रत बताया गया है। कोजागरी पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल ओडिशा तथा असम आदि में मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि आश्विन पूर्णिमा की रात पर माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने आती हैं और जो भी भक्त उन्हें जागता हुआ मिलता है देवी मां उसे धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं।

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    Kojagari Puja 2025: मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन कोजागर पूजा की जाती है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि कोजागरी पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने पर साधक को धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल कोजागरी पूजा कब की जाएगी।

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    कोजागर पूजा शुभ मुहूर्त (Kojagari Puja Shubh Muhurat)

    आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को रात 12 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 7 अक्टूबर को रात 9 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में कोजागर व्रत सोमवार, 6 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दौरान शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    • कोजागर पूजा निशिता काल - रात 11 बजकर 45 मिनट से रात 12 बजकर 34 मिनट तक
    • कोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय का समय - शाम 5 बजकर 26 मिनट पर

    कोजागर पूजा का महत्व (Kojagari Puja Importance)

    कोजागर पूजा आश्विन पूर्णिमा के दिन पड़ती है, जिसे हम सभी शरद पूर्णिमा के रूप में जानते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान धन की देवी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इश दिन पर मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन पर भक्त अपने घरों में मिट्टी का दीपक जलाते हैं। इसके साथ ही पूजा के दौरान दरवाजे और खिड़कियां खुली छोड़ दी जाती हैं, ताकि लक्ष्मी जी का आगमन हो सके। 

    माता लक्ष्मी के मंत्र

    1. श्री लक्ष्मी बीज मंत्र -

    ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।

    2. लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र -

    नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।

    या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।

    3. श्री लक्ष्मी महामंत्र -

    ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।