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    भोलेनाथ पर नहीं चढ़ाई जाती है तुलसी, जानें पौराणिक कारण

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 26 Jul 2020 12:59 PM (IST)

    बम बम भोले... के जयकारों से आज पूरा देश गूंज रहा है। श्रावण मास में स्वयंभू शिव शंकर की आराधना की जाती है। सावन के हर सोमवार को लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं

    भोलेनाथ पर नहीं चढ़ाई जाती है तुलसी, जानें पौराणिक कारण

    बम बम भोले... के जयकारों से आज पूरा देश गूंज रहा है। श्रावण मास में स्वयंभू शिव शंकर की आराधना की जाती है। सावन के हर सोमवार को लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं और उन पर जल, केसर, चीनी (शक्कर), इत्र, दूध, दही, घी, चंदन, शहद और भांग अर्पित किए जाते हैं। साथ ही बिल्व पत्र और घतूरा समेत पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं। इन सभी से शिव जी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर कभी भी तुलसी अर्पित नहीं की जाती है? शायद कई लोग इस बात को जानते हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो इस बात को नहीं जानते होंगे। ऐसे में हम आपको इसका पौराणिक कारण बता रहे हैं आखिर क्यों शिवजी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।

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    जानें शिवजी पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती है तुलसी:

    एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक असुर था जिसका नाम जलंधर था। इसकी पत्नी का नाम वृन्दा था। जलंधर राक्षस से हर कोई त्रस्त था। लेकिन कोई भी उसकी हत्या नहीं कर पा रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी पत्नी वृन्दा बेहद पतिव्रता थी और उसके तप से कोई भी राक्षस का वध नहीं कर पा रहा था। एक दिन भगवान विष्णु ने जलंधर का रुप धारण किया और उन्होंने वृंदा की पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया।

    जब वृन्दा को यह बात पता चली तो उसने खुद को आग के हवाले कर दिया। जहां पर वृन्दा ने आत्मदाह किया था वहीं से तुलसी का पौधा उग गया था। ऐसे में वृन्दा ने शिव की पूजा में तुलसी को शामिल न करने का शाप दिया था।

    ये चीजें भी नहीं होती हैं पूजा में शामिल:

    तुलसी के अलावा शंख, नारियल का पानी, हल्दी, रोली को भी शिव पूजा में शामिल नहीं किया जाता है। इसके अलावा शिवजी को कनेर, कमल, लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल भी नहीं चढ़ाए जाते हैं।