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    Sawan 2022: आखिर शिव जी को सावन का महीना ही क्यों पसंद है?

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Mon, 18 Jul 2022 12:17 PM (IST)

    सावन का महीना पूरी तरह से शिव जी समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में उनकी अर्चना-उपासना का विशेष फल मिलता है। लोग इस दौरान उनके श्रृंगारभूत सांपों तक को नहीं मारते। तो आइए जानें कि शिव जी को सावन का महीना ही क्यों प्रिय है।

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    शिव जी को क्यों सबसे प्रिय है सावन का महीना?

    नई दिल्ली, रघोत्तम शुक्ल। Sawan 2022: भगवान शंकर को सावन यानी श्रवण मास अतिशय प्रिय है। इस मास में उनकी अर्चना-उपासना का विशेष फल मिलता है। लोग इस मास में उनके श्रृंगारभूत सर्पो तक को नहीं मारते। इस मास की इस विशेष स्थिति के कई कारण हैं। शंकर जी का प्रथम विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री सती से हुआ था। शंकर जी उनके प्रति अति अनुराग रखते थे। एक कथा के अनुसार दक्ष यज्ञ में अपने पति शिव जी की अवमानना से क्षुब्ध सती ने योगाग्नि से वहीं यज्ञ वेदी के पास अपना तन त्याग दिया। इससे क्रुद्ध शंकर जी ने वीरभद्र को भेजकर उस यज्ञ का विध्वंस करवा दिया और दक्ष सहित उस यज्ञ के सभी प्रतिभागियों को यथा योग्य दंड दिलवाया।

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    अंतत: देवताओं के हस्तक्षेप और अनुनय-विनय करने पर उन आशुतोष भगवान ने सबको क्षमा दान दिया। साथ ही पुरवासियों की प्रार्थना पर उन्होंने यह वचन दिया कि वह प्रतिवर्ष एक मास उसी नगरी में आकर रहा करेंगे। वह पुरी हरिद्वार का निकटवर्ती कस्बा कनखल है और वह एक मास श्रवण है, जब भगवान भूतभावन अपनी उक्त ससुराल में रहकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। वहां अब भी इस मास में मेला लगता है। एक तथ्य यह भी है कि ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी से चार मास सृष्टि पालक भगवान विष्णु शयन करते हैं। ऐसे में संसार का समस्त भार भगवान शंकर पर ही रहता है। अत: इस माह के ठीक बाद शुरू होने वाले मास श्रवण में पृथ्वीवासी उनकी विशेष अर्चना करते हैं।

    शंकर जी औषधिनाथ भी हैं। समस्त औषधियों और वनस्पतियों का पोषण करने वाला चंद्रमा उनके शीश पर शोभित है। सावन में वर्षा से वनस्पति, कृषि, फल, फूल आदि का संवर्धन होता है तो वे सृष्टि के स्वामी इस मास से प्रीति क्यों न करें। उनके कंठ में ज्वलनशील विष, नेत्रों में काल की ज्वाला सदा विद्यमान है। ऐसे में जल से सृष्टि को आप्लावित करने वाला यह सावन का महीना उन्हें शीतलता प्रदान करने के कारण भी आह्लादकारी है।