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    शिव ही नहीं श्रीकृष्‍ण को भी कहते हैं नटराज, जानें यह कथा

    By molly.sethEdited By:
    Updated: Tue, 25 Jul 2017 02:32 PM (IST)

    क्‍या आप जानते हैं एक बार शक्‍ति रूपा देवी महाकाली बनीं श्रीकृष्‍ण और भोलेनाथ बने राधा और दोनों ने किया अदभुद रास और इसी के चलते कृष्‍ण कहलाये नटराज।

    शिव ही नहीं श्रीकृष्‍ण को भी कहते हैं नटराज, जानें यह कथा

    शिव और कृष्‍ण दोनों हैं नटराज

    हमारी पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार अपने ताण्‍डव से सृष्‍टि का संहार करने वाले शिव शंकर को नटराज कहा जाता है क्‍योंकि नृत्‍य कला के पारंगत देव हैं। इसके बावजूद भगवान श्री कृष्‍ण को भी नटराज कहा जाता है। क्‍या कभी आपने सोचा है कि इन दोनों ही को एक समान उपाधि क्‍यों दी गयी है। आइये आज आपको सुनाते हैं भगवान श्री कृष्‍ण के नटराज बनने की कहानी। 

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    कुछ ऐसी है कथा

    कहते हैं एक बार समस्‍त देवी देवताओं के सम्‍मुख कैलाश पर्वत पर भगवान शंकर ने मंत्रमुग्‍ध करने वाला तांडव नृत्‍य किया। इस अलौकिक नृत्‍य को देख कर सभी देवगण प्रफुल्‍लित हो गए। इस नृत्‍य सभा की अध्‍यक्षता माता गौरी कर रही थीं। इस नृत्‍य से प्रभावित हो कर भगवती महाकाली ने शिव को एक वर मागने के लिए कहा और उन्‍होंने कहा कि वे अब ताण्‍डव नहीं रास करना चाहते हैं। साथ ही उन्‍होंने कहा कि उनके भक्‍तों को भी उनके नृत्‍य का आनंद मिले ऐसी उनकी इच्‍छा है। तब शिव का वरदान पूरा करने के लिए भगवती महाकाली ने ब्रज में श्रीकृष्‍ण के रूप में और शिव ने राधा के रूप में अवतरित हो कर रास किया। इसी अदभुद रास के नृत्‍य के चलते श्री कृष्‍ण को नटराज कहा जाने लगा।