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इस मंत्र विद्या से शुक्राचार्य ने कई दानवों को कर दिया था जीवित, जानें-मंत्र लाभ

शुक्राचार्य की गिनती सबसे बड़े ऋषि मुनियों में होती है। इसके बावजूद स्वर्ग के देवता उन्हें मान-सम्मान नहीं देते थे जिससे शुक्राचार्य के मान को बहुत ठेस पहुंचा। इसके पश्चात उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे देवताओं को इस भूल के लिए जरूर सबक सिखाएगें।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 06:44 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 10:12 AM (IST)
इस मंत्र विद्या से शुक्राचार्य ने कई दानवों को कर दिया था जीवित, जानें-मंत्र लाभ
इस मंत्र विद्या से शुक्राचार्य ने कई दानवों को कर दिया था जीवित, जानें-मंत्र लाभ

सनातन धार्मि में दर्जनों प्रभावशाली मंत्र हैं, जिनके जाप से व्यक्ति को न केवल सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इनमें गायत्री मंत्र और महा-मृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व है। इसके अलावा, एक अन्य मंत्र का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में निहित है। इस मंत्र का नाम संजीवनी मंत्र है, जिसके जाप से कालांतर में कई दानवों को पुनः जीवित किया गया है। आइए जानते हैं कि संजीवनी मंत्र क्या है और क्या इसका धार्मिक पक्ष है-

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संजीवनी मंत्र क्या है

“ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ ˜त्र्यंबकंयजामहे ऊँ तत्सर्वितुर्वरेण्यं ऊँ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम

ऊँ भर्गोदेवस्य धीमहि ऊँ उर्वारूकमिव बंधनान ऊँ धियो योन: प्रचोदयात

ऊँ मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ऊँ स्व: ऊँ भुव: ऊँ भू: ऊँ स: ऊँ जूं ऊँ हौं ऊँ”

इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की बात की जाती है। चिरकाल में दानवों ने देवताओं के दूत कूच का वध कर दिया। इसके बाद शुक्राचार्य ने संजीवनी विद्या के माध्यम से कूच को पुनर्जीवित कर दिया। कालांतर में कूच ने यह विद्या देवताओं को सीखा दिया।

शुक्राचार्य कौन थे

शुक्राचार्य की गिनती सबसे बड़े ऋषि मुनियों में होती है। इसके बावजूद स्वर्ग के देवता उन्हें मान-सम्मान नहीं देते थे, जिससे शुक्राचार्य के मान को बहुत ठेस पहुंचा। इसके पश्चात, उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे देवताओं को इस भूल के लिए जरूर सबक सिखाएगें। इसके लिए शुक्राचार्य ने शिव जी की कठिन तपस्या की। शुक्राचार्य की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें संजीवनी मंत्र का वरदान दिया। इस वरदान की शक्ति से वह दानवों का गुरु बन गए। कालांतर में उन्होंने कई दानवों को अपनी संजीवनी मंत्र शक्ति से पुनर्जीवित कर दिया।  ऐसा माना जाता है कि शुक्राचार्य पाताल लोक के निवासी थे। उन्होंने अपने तपोबल से राजा बलि को भी पुनर्जीवित कर दिया था। कालांतर में शुक्राचार्य पाताल लोक के राजा बने।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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