क्या होता है राहु काल, चांडाल योग और कपट योग को भी समझें
हिन्दू पंचांग के अनुसार राहु ग्रह के प्रभाव से दिन में एक अशुभ समयावधि होती है जिसमें शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि को राहु काल कहते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार राहु ग्रह के प्रभाव से दिन में एक अशुभ समयावधि होती है जिसमें शुभ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि को राहु काल कहते हैं। यह अवधि लगभग डेढ़ घण्टे की होती है और स्थान व तिथि के अनुसार इसमें अंतर देखने को मिलता है।
राहु ग्रह का असर:
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित है तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। वहीं राहु अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है।
अष्टलक्ष्मी शुभ योग:
ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास ने बताया कि राहु सभी ग्रहों में ऐसा ग्रह है जो हमेशा उल्टी चाल से ही चलता है। इसकी कोई भी अपनी राशि नहीं होती है। यह जिस राशि के साथ जाता है उस राशि के स्वामी ग्रह के हिसाब से फल देता है। अगर राहु किसी जातक की कुंडली में छठे भाव में आकर बैठता है और कुंडली गुरु लग्न की है तो अष्टलक्ष्मी नाम का शुभ योग बनाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि अगर किसी की कुंडली में ऐसा योग बनता है तो राहु उसके जीवन को धन-दौलत और सुख संपदा से परिपूर्ण कर देता है। अष्टलक्ष्मी योग बनने से राहु का नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाता है और व्यक्ति को शुभ फल मिलने लगता है।
लग्नकारक शुभ योग:
अष्टलक्ष्मी योग की ही तरह लग्नकारक शुभ योग भी राहु के द्वारा बनता है। जब राहु कुंडली के दूसरे, नौवें और दसवें में होता और जातक की कुंडली मेष, कर्क और वृष लग्न की होती है तब लग्नकारक शुभ योग बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी यह योग बनता है तब जातक की कुंडली से राहु का अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है। ऐसे जातकों की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी रहती है और जीवन में ज्यादा परेशानियां नहीं मिलती है।
राहु की शुभ दृष्टि:
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के छठे, तृतीय या फिर एकादश भाव के अलावा लग्न में मौजूद राहु पर शुभ ग्रहों की नजर पड़ रही होती है तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती है। हर मुश्किल काम बहुत ही आसानी के साथ हो जाता है।
राहु का अशुभ योग:
कपट योग:
जब शनि और राहु के साथ किसी की कुंडली के ग्यारहवें और छठे भाव में आकर बैठते हैं तो कपट योग बनता है। इस योग के बनने से व्यक्ति किसी का विश्वासपात्र नहीं बन पाता है।
पिशाच योग:
राहु की वजह से यह सबसे खराब योग बनता है। जिन जातकों की कुंडली में यह योग बनता है उसे प्रेत संबंधी तमाम तरह की परेशानियां होती है।
गुरु चांडाल योग:
जब गुरु और राहु की युति बनती है तब कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है। यह योग बहुत ही अशुभ योग कहलाता है। इस योग से राहु व्यक्ति को बहुत ज्यादा परेशान करता है।
डिस्क्लेमर-
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