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    क्या होती है भद्रा, शुभ कार्यों में इससे बचने की क्यों दी जाती है सलाह

    जब भी रक्षाबंधन का त्यौहार आता है सबसे पहले यह देखा जाता है कि भद्रा कब है। भद्रा में राखी न बांधी जाए ऐसा भी कहा जाता है। सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ये भद्रा होती क्या है?

    By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 01 Aug 2020 09:00 AM (IST)
    क्या होती है भद्रा, शुभ कार्यों में इससे बचने की क्यों दी जाती है सलाह

    जब भी रक्षाबंधन का त्यौहार आता है, सबसे पहले यह देखा जाता है कि भद्रा कब है। भद्रा में राखी न बांधी जाए, ऐसा भी कहा जाता है। सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ये भद्रा होती क्या है? और इस भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है? राखी के त्यौहार को मद्देनजर रखते हुए आज जागरण आध्यात्म के इस लेख में हम भद्रा के बारे में आपको सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

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    शुरुआत करते हैं हमारे पुराणों से। पुराणों के मुताबिक, भद्रा सूर्यदेव की पुत्री है। यानी की शनि की बहन। कहा जाता है कि शनि की तरह ही इनका स्वभाव भी क्रोधी है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है।

    हिन्दू पंचांग के 5 प्रमुख अंग होते हैं। इन पांचों अंगों के नाम है- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण को महत्वपूर्ण अंग माना गया है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है। ये चर और अचर में बांटे गए हैं। चर या गतिशील करण में बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि गिने जाते हैं। अचर या अचलित करण में शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न होते हैं। इन 11 करणों में 7 वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार अलग-अलग राशियों के अनुसार भद्रा तीनों लोकों में घूमती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या उनका नाश करने वाली मानी गई है। जब चन्द्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस समय सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसके दोष निवारण के लिए भद्रा व्रत का विधान भी धर्मग्रंथों में बताया गया है।

    सिर्फ रक्षा बंधन के दौरान ही नहीं बल्कि कोई भी शुभ कार्य करते वक्त भद्रा का ध्यान रखा जाता है। इसलिए किसी भी शुभ काम की तारीख मुकर्रर करने से पहले पंचाग देखने की परंपरा है। जिन्हें स्वयं पंचाग देखना नहीं आता वो पंडित से इसके लिए परामर्श लेते हैं। इस बार रक्षाबंधन पर सबसे खास बात ये है कि कि भद्रा दोष थोड़ी देर का है. इस बार दिन भर में अब कभी भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी। 3 अगस्त को भद्रा सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक है. राखी का त्योहार सुबह 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हो जाएगा। दोपहर को 1 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 35 मिनट तक बहुत ही अच्छा समय है। इसके बाद शाम को 7 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9.30 के बीच में बहुत अच्छा मुहूर्त है।

    डिस्क्लेमर-

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''