Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राम नाम है अपरंपार, इन दो कथाओं से जानें राम नाम की महिमा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 08 Dec 2020 09:00 AM (IST)

    Raam Naam Mahima श्री राम के नाम की महिमा क्या है ये तो हम सभी को पता है। आज जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको राम नाम की महिमा के बारे में ही बताने जा रहे हैं।

    Hero Image
    राम नाम है अपरंपार, इन दो कथाओं से जानें राम नाम की महिमा

    राम के नाम की महिमा क्या है ये तो हम सभी को पता है। आज जागरण अध्यात्म के इस लेख में हम आपको राम नाम की महिमा के बारे में ही बताने जा रहे हैं। यह कथा कबीर के पुत्र कमाल की है। एक बार राम नाम का प्रभाव कुछ ऐसा हुआ कि कमाल द्वारा एक कोढ़ी का कोढ़ दूर हो गया। इससे कमाल को यह लगने लगा कि रामनाम की महिमा को वो पूरी तरह जान गए हैं। हालांकि, इससे कबीर जी को कोई प्रसन्नता नहीं हुई। कबीर जी ने कमाल को तुलसीदास जी के पास भेजा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तुलसीदास जी ने तुलसी के पत्र पर रामनाम लिखा और उसे एक जल में डाल दिया। इस जल को पीकर 500 कोढ़ी ठीक हो गए। फिर कमाल को लगने लगा कि राम नाम का तुलसी पत्र पर लिखकर जल में डालने और उसे पीने से 500 कोढ़ियों को ठीक किया जा सकता है, रामनाम की इतनी महिमा है। लेकिन इससे भी कबीर जी प्रसन्न नहीं हुए। उन्होंने कमाल को सूरदास के पास भेजा।

    सूरदास जी ने गंगा में बह रहे एक शव के कान में राम नाम लिया। उन्होंने इतना कहने से ही शव जीवित हो उठा।

    संत सूरदास जी ने गंगा में बहते हुए एक शव के कान में केवल र कहा और शव जीवित हो गया। तब कमाल को लगा कि राम नाम के केवल र अक्षर से ही मुर्दा जीवित हो उठा। राम नाम की महिमा बहुत ज्यादा है। इस पर कबीर जी ने कमाल से कहा कि सिर्फ इतनी ही महिमा नहीं है राम नाम की। उन्होंने कहा- भृकुटि विलास सृष्टि लय होई।

    अर्थात् इसके भृकुटि विलास मात्र से प्रलय हो सकता है। राम के नाम की महिमा का वर्णन तुम क्या करोगे?

    राम नाम महिमा में एक अन्य कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, एक बार एक व्यक्ति समुद्रतट पर चिंता में बैठा था। इतने में ही वहां से विभीषण गुजरे। उन्होंने व्यक्ति से पूछा कि तुम किस बात को लेकर चिंतित हो। तब व्यक्ति ने कहा कि उसे समुद्र पार जाना है लेकिन कोई साधन नहीं है। तब विभीषण ने कहा कि इस पर इतना उदास होने की क्या जरुरत है। विभीषण ने एक पत्ता लिया और उस पर राम का नाम लिख दिया। विभीषण ने व्यक्ति से कहा कि उन्होंने उसकी धोती में इसमें मैंने तारक मंत्र बांधा है। बिना घबराए ईश्वर पर भरोसा करते हुए पानी में चलते जाना। समुद्र पार पहुंच जाओगे।

    विभीषण के वचनों पर विश्वास कर वह व्यक्ति समुद्र की तरफ बढ़ने लगा। वह व्यक्ति बजडी ही आसानी से पानी पर चलने लगा। जब समुद्र के बीचों बीच ऐया तब उसे लगा कि ऐसा क्या मंत्र विभीषण ने बांधा है कि वो पानी पर चल पा रहा है। उसने अपने पल्लू में बंधा हुआ पत्ता खोला और पढ़ा तो उस पर राम का नाम लिखा था। उसे पढ़ते ही उसकी श्रद्धा तुरंत ही अश्रद्धा में बदल गयी। उसे लगा कि यह कोई तारक मंत्र नहीं है। यह तो सबसे सीधा सादा राम नाम है। उसके मन में आई अश्रद्धा के चलते ही वह डूबकर मर गया।

    तुलसीदास जी कहते हैं-

    राम ब्रह्म परमारथ रूपा।

    अर्थात्- ब्रह्म ने ही परमार्थ के लिए राम रूप धारण किया था।