Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भगवान महावीर ने कहा कि मनुष्य का मूल धर्म ध्यान है

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Wed, 30 Dec 2015 11:58 AM (IST)

    ध्यान एक अवस्था है। जब चेतना के सामने कोई विषय न हो, उस अवस्था का नाम ध्यान है। ध्यान जीवन जीने की एक कला है। भगवान महावीर ने कहा कि मनुष्य का मूल धर्म ध्यान है और जिसने ध्यान साध लिया, उसने सब साध लिया। ध्यान क्या है? यह समझना

    ध्यान एक अवस्था है। जब चेतना के सामने कोई विषय न हो, उस अवस्था का नाम ध्यान है। ध्यान जीवन जीने की एक कला है। भगवान महावीर ने कहा कि मनुष्य का मूल धर्म ध्यान है और जिसने ध्यान साध लिया, उसने सब साध लिया। ध्यान क्या है? यह समझना आवश्यक है। आंखें मूंदकर मात्र बैठने का नाम ध्यान नहीं है। यदि आंखें बंद करना ही है तो भगवान बुद्ध की तरह करें। आंखें मूंदकर जब बुद्ध बैठे तो वह दुनिया के सबसे बड़े सृजनकर्ता कहलाए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ध्यान है बाहर से भीतर की ओर लौटना, हर घटना में अपनी उपस्थिति का अनुभव करना, हर परिस्थिति में शांत और संतुलित रहने की क्षमता, किसी एक बिंदु पर मन को स्थिर करना, अज्ञात से साक्षात्कार करना, शक्ति और आनंद से भरना। ध्यान में सिर्फ यह ध्यान रखना है कि ये सिर्फ एक अवस्था है। जब चेतना के सामने कोई विषय न हो, उस अवस्था का नाम ध्यान है। इस अवस्था में अतीत, वर्तमान, भविष्य कुछ भी नहीं है। यही मृत्यु का एक क्षण है और यही जीवन का भी एक पल है। सब कुछ इसी क्षण में छिपा हुआ है। इस क्षण को खोज लेना ही ध्यान है।

    विचारों व भावनाओं का अनुभव बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक है। एक व्यक्ति की नाव भटकते हुए ऐसे द्वीप पर पहुंच गई, जहां कोई नहीं था। उस व्यक्ति ने कुछ दिन वहीं रुकने का मन बनाया। कुछ समय बाद उसने अपनी नाव तोड़ दी। वह अब अपनी पुरानी दुनिया में नहीं लौटना चाहता था, क्योंकि उसे नई दुनिया रास आने लगी थी। उसने पाया कि बाहरी दुनिया में भीड़ और चारों ओर शोरगुल है, लेकिन यहां शांति है। अंत में वह व्यक्ति इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जब उसे जीवन में शांति ही चाहिए तो वह अपनी पुरानी दुनिया में क्यों लौटे?

    ध्यान अपने ही भीतर एक निर्जन द्वीप की खोज करने का मार्ग है। हम कुछ बोलते हैं तो हमारे भीतर शब्दों का निर्माण पहले हो जाता है, बाद में वे हमारी जुबान पर आते हैं। हम इससे अनजान बने रहते हैं। इसी क्रिया को जानना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आंखें बंद कर लें और गौर से देखें कि शब्द कहां पैदा हो रहे हैं। अगर उन शब्दों को पकड़ने में आप सफल रहे हैं, तो समझ लीजिएगा कि आप ध्यान में हैं।