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    Owl the ride of Lakshmi Maa: उल्लू पक्षी के माता लक्ष्मी की सवारी बनने की पौराणिक कहानी

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Fri, 11 Jun 2021 02:30 PM (IST)

    माता लक्ष्मी के अपने वाहन के रूप में उल्लू पक्षी को चुनने की कथा बहुत रोचक है। आज वैभव लक्ष्मी व्रत के दिन जानते हैं पक्षी उल्लू के माता लक्ष्मी के सवारी बनने की पौराणिक कहानी और उल्लू पक्षी का पौराणिक महत्व।

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    उल्लू पक्षी के माता लक्ष्मी की सवारी बनने की पौराणिक कहानी

    Owl the ride of Lakshmi Maa:पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के सभी देवी- देवताओं ने, पशु – पक्षियों को अपने वाहन या सवारी के रूप में चुना हैं, जिनमें से कई देवताओं के वाहनों की स्वयं स्वतंत्र देवता के रूप में भी पूजा होती है। भगवान शिव के वाहन नंदी बैल तथा भगवान विष्णु के वाहन गरूण स्वयं भी पूजनीय हैं। सभी देवी-देवताओं ने अपनी आवश्यकता और इच्छा के अनुरूप अपना वाहन चुना है। ऐसे ही माता लक्ष्मी के अपने वाहन के रूप में उल्लू पक्षी को चुनने की कथा बहुत रोचक है। आज वैभव लक्ष्मी व्रत के दिन जानते हैं उल्लू के माता लक्ष्मी के सवारी बनने की कहानी...

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    कैसे उल्लू बना मां लक्ष्मी की सवारी

    प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे। तब माता लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती लोक आईं। लक्ष्मी मां को देख कर सभी पशु-पक्षी में उनका वाहन बनने की होड़ लगाने लगे। लक्ष्मी जी ने सभी पशु-पक्षी से कहा कि मैं कार्तिक मास की अमावस्या को धरती पर विचरण करती हूं, उस समय जो भी पशु-पक्षी उन तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। कार्तिक अमावस्या की रात अत्यंत काली होती है। अतः ऐसे में जब लक्ष्मी जी धरती पर उतरीं, तो रात के अंधेरे में देखने की क्षमता के कारण उल्लू ने उन्हे सबसे पहले देख लिया और बिना कोई आवाज किए सबसे पहले लक्ष्मी जी तक पहुंच गया। उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न हो कर माता लक्ष्मी ने उसे अपनी सवारी के रूप में चुन लिया। तब से माता लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।

    उल्लू का पौराणिक महत्व

    पौराणिक मान्यता में माता लक्ष्मी की सवारी होने के कारण उल्लू को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दीपावली की रात उल्लू का दिखना लक्ष्मी आगमन का संकेत माना जाता है। यहां तक कि पौराणिक मान्यता है कि उल्लू का हूं हूं हूं की आवज निकालना मंत्र का उच्चारण है, लेकिन कुछ लोग अंधविश्वास के कारण उसकी बली देते हैं, जो एक जीव हत्या है। यह एक पाप कर्म है, यह धर्म में सर्वथा वर्जित है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'