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जानें, कैसे हुआ रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म और कौन हैं इनके माता-पिता

हनुमान जी के जन्म को लेकर कई किदवंती है। इनमें एक कथा बेहद लोकप्रिय है। एक बार की बात है जब स्वर्ग में दुर्वासा द्वारा आयोजित सभा में स्वर्ग के राजा इंद्र भी उपस्थित थे। उस समय पुंजिकस्थली नामक अप्सरा ने देवगणों का ध्यान भटकाने की कोशिश की।

By Umanath SinghEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 08:52 AM (IST)
जानें, कैसे हुआ रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म और कौन हैं इनके माता-पिता
जानें, कैसे हुआ रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म और कौन हैं इनके माता-पिता

मंगलवार का दिन भगवान रूद्र के 11वें अवतार हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन संकट हरने वाले भगवान बजरंगबली की पूजा-उपासना की जाती है। इन्हें बल, बुद्धि और विद्या का दाता भी कहा जाता है। हनुमान चालीसा में हनुमान जी का विस्तार से वर्णन किया गया है। साथ ही कई शास्त्रों, पुराणों एवं वेदों में भी हनुमान जी की महिमा का बखान है। इन्हें कई नामों से जाना जाता है। इनके प्रिय नाम हनुमान जी, बजरंगबली, पवनसुत, मारुतनंदन हैं। धार्मिक मान्यता है कि बजरंगबली अजर-अमर हैं। उन्हें अमरता का वरदान मिला है। उनकी गिनती आठ अजर-अमरों में होती है। आइए, रुद्रावतार हनुमान जी की जन्म कथा जानते हैं-

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क्या है कथा

सनातन शास्त्रों में हनुमान जी के जन्म को लेकर कई किदवंती है। इनमें एक कथा बेहद लोकप्रिय है। एक बार की बात है जब स्वर्ग में दुर्वासा द्वारा आयोजित सभा में स्वर्ग के राजा इंद्र भी उपस्थित थे। उस समय पुंजिकस्थली नामक अप्सरा ने बिना किसी प्रयोजन के सभा में दखल देकर उपस्थित देवगणों का ध्यान भटकाने की कोशिश की। इससे क्रुद्ध होकर ऋषि दुर्वासा ने पुंजिकस्थली को बंदरिया बनने का श्राप दे दिया। यह सुन पुंजिकस्थली रोने लगी।

तब ऋषि दुर्वासा ने कहा कि अगले जन्म में तुम्हारी शादी बंदरों के देवता से होगी। साथ ही पुत्र भी बंदर प्राप्त होगा। अगले जन्म में माता अंजनी की शादी बंदर भगवान केसरी से हुई। कालांतर में माता अंजनी के घर हनुमान जी का जन्म हुआ। एक अन्य किदवंती है कि राजा दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करवाया था। इस यज्ञ से प्राप्त हवि को खाकर राजा दशरथ की पत्नियां गर्भवती हुई। इस हवि के कुछ अंश को एक गरुड़ लेकर उड़ गया और उस जगह पर गिरा दिया। जहां माता अंजना पुत्र प्राप्ति के लिए तप कर रही थी। माता अंजनी ने हवि को स्वीकार कर ग्रहण किया। इस हवि से माता अंजनी गर्भवती हो गई। कालांतर में माता अंजनी के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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