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    Motivational Story : कहानी सबसे सुंदर कौन, जानिये क्यों कभी भी खुद को कमतर नहीं आंकना चाहिए

    By Ritesh SirajEdited By:
    Updated: Sat, 07 Aug 2021 04:04 PM (IST)

    Motivational Story जीवन में ईश्वर ने जो किया है उसी में सबकी भलाई है। इसीलिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हुए कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। कौवा को काले रंग की वजह से लगता था कि वह रंगों से वंचित है।

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    सबसे सुंदर कौन, कभी भी खुद को कमतर नहीं आंकना चाहिए

    Motivational Story : जीवन में सभी अपने आस-पास के चीजों को देखकर प्रभावित होते हैं। कभी-कभी बाहरी चीजों का प्रभाव पर इतना ज्यादा हो जाता है कि लोग हीन भावना से ग्रसित होकर खुद को कम आंकने लगते हैं। जीवन में ईश्वर ने जो किया है उसी में सबकी भलाई है। इसीलिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हुए कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। आज इसी पर आधारित एक कहानी सबसे सुंदर कौन की कहानी का विस्तार से वर्णन करेंगे।

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    एक दिन कौवा अपनी शक्ल को देखकर सोचने लगा कि पंछियों में सबसे ज्यादा कुरूप मैं ही हूँ। उसे लगा कि न तो आवाज अच्छी है न ही पंख सुंदर हैं। काले रंग के वजह से उसे लगता था कि वह रंगों से भी वंचित है। ये सारी बातें सोचने की वजह से उसके अंदर हीन भावना से ग्रसित होकर दुखी भी रहने लगा। एक दिन बगुले ने कौवे की उदासी का कारण जानना चाहा तो कौवे ने जवाब दिया कि तुम गोरे-चिट्टे हो मैं तो बिलकुल काला हूं। मेरा इस दुनिया में जीना बेकार है। 

    बगुला ने कौवे से कहा कि दोस्त मैं कहा सुंदर हूं? तोते को देखो हरे पंख और लाल चोंच, काश मेरे पास भी ये सब होता। बगुले की बात सुनकर कौवे को सुंदरता को जानने की इच्छा हुई। वह तोते के पास पहुंचकर बोला कि तुम इतने सुंदर हो। खुश तो तुम बहुत होते होगे? जवाब में तोते ने कहा कि मैं खुश तो था लेकिन मोर को देखकर दुखी हो गया क्योंकि वह मुझसे ज्यादा सुन्दर होता है।

    मोर की खुशी जानने के लिए कौवा उसे जंगल में खोजने लगा परंतु उसे एक भी मोर नहीं दिखाई दिया। जंगल वालों से पूछने के बाद पता चला कि मोर को चिड़ियाघर वाले उठाकर ले गए हैं। कौवा मोर की तलाश में चिड़ियाघर पहुंच गया। वहां पर उसने मोर से उसकी सुंदरता पर चर्चा करनी चाही लेकिन मोर उलटा रोने लगा। उसने कौवे से कहा कि ईश्वर का धन्यवाद करो जो तुम सुंदर नहीं हो। वरना पिंजरें में होते।

    कहानी की शिक्षा, कौवे को अपनी गलती का एहसास हुआ उसे समझ आया की ईश्वर की बनाई चीजों पर सवाल नहीं करना चाहिए। 

    डिसक्लेमर

     

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'