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    Sawan 2020: शिव पुराण...24000 श्लोकों से भगवान शिव का गुणगान, वे आदि भी, वे अंत भी

    Shiv Puran शिव पुराण को सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के व्यक्तित्व का और उनकी महीमा का प्रचार-प्रसार किया गया है।

    By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 25 Jul 2020 01:00 PM (IST)
    Sawan 2020: शिव पुराण...24000 श्लोकों से भगवान शिव का गुणगान, वे आदि भी, वे अंत भी

    Shiv Puran: शिव पुराण को सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के व्यक्तित्व का और उनकी महीमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। इसमें शिवजी के अलग-अलग रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों आदि का वर्णन किया गया है। इस पुराण के अनुसार, यह पुराण परम उत्तम शास्त्र है। इस धरती पर इसे शिव का वाङ्मय स्वरूप ही समझा जाना चाहिए। मान्यता है कि इस पुराण को पढ़ना और सुनना सर्वसाधनरूप है। शिव पुराण में चौबीस हजार श्लोक मौजूद हैं। साथ ही यह पुराण 7 संहिताओं से भी युक्त है। मान्यता है कि यह दिव्य शिवपुराण परब्रह्म परमात्मा के समान विराजमान है।

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    शिव पुराण में शिवजी के चरित्र पर डाला गया है प्रकाश:

    शिव पुराण में शिव के जीवन पर प्रकाश डाला गया है। यहां पर उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों के बारे में बताया गया है। बताया गया है कि भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। वो अपने भक्तों को कभी निराश नहीं होने देते हैं। इन्हें त्रिदेवों में संहार का देवता कहा गया है। इन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। इनमें जीवन और मृत्यु का बोध है। भोलेनाथ के शीश पर गंगा और चंद्रमा जीवन और कला का प्रतीक माना जाता है।

    भगवान शिव को पकवान और पुष्पों आदि का कोई मोह नहीं है। उन्हें स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल धूतरा ही बेहद प्रिय है। शिवजी इन्हीं सब चीजों से प्रसन्न हो जाते हैं। शिव के अघौड़ बाबा हैं जो जटा धारण किए हुए, गले में नाग लिपटे हुए, शरीर पर बाघम्बर पहने हुए और रुद्राक्ष की मालाएं धारण किए हुए हैं। साथ ही डमरू और त्रिशुल भी भोलेनाथ ने धारण किया हुआ है। शिवजी के शरीर पर चिता की भस्म लगी हुई है। 

    शिव पुराण में मौजूद हैं 7 संहिता:

    विद्येश्वर संहिता

    रुद्र संहिता

    शतरुद्र संहिता

    कोटिरुद्र संहिता

    उमा संहिता

    कैलास संहिता

    वायु संहिता