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    राजा बलि के स्वागत में... ओणम

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2016 12:21 PM (IST)

    ओणम के अवसर पर दानी राजा बलि के स्वागत में घर-घर में फूलों से बन गई है रंगोली और नारियल के दूध से पकाई जा चुकी है खीर। नई फसल भी कट कर घर आने को हो गई है तैयार...

    ओणम के अवसर पर दानी राजा बलि के स्वागत में घर-घर में फूलों से बन गई है रंगोली और नारियल के दूध से पकाई जा चुकी है खीर। नई फसल भी कट कर घर आने को हो गई है तैयार...

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    कहीं फूलों से बनी रंगोली, तो कहीं नारियल के दूध में बनी खीर। गीत-संगीत और खेलकूद के उमंग से सरोबार माहौल। केरल के साथ-साथ भारत भर में महान राजा बलि के घर आने की खुशी में ओणम पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पारंपरिक अंदाज में तैयार स्त्री-पुरुषों का उत्साह देखते ही बनता है। पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में राजा बलि नामक दैत्यराज हुआ करते थे। दानवीर होने के साथ-साथ उनमें कई अच्छे गुण थे, लेकिन उन्हें अपने यश और कीर्ति पर अहंकार भी था। उन्हें यह अभिमान हो चला था कि सुकर्मों के बल पर देवताओं को वे आसानी से परास्त कर सकते हैं। एक दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप धरा और राजा बलि से दान में तीन पग भूमि मांग ली। वामन भगवान ने दो पग में धरती और आकाश नाप लिया। तीसरा पग रखने

    के लिए उनके पास जगह ही नहीं थी। तब राजा बलि ने अपना सिर झुका दिया। वामन भगवान ने पैर रखकर राजा को पाताल भेज दिया। लेकिन उसके पहले राजा बलि ने साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आने की अनुमति मांग ली। मान्यता है कि ओणम के दिन राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। इसी खुशी में मलयाली समाज ओणम मनाता है। इसी के साथ ओणम नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर स्त्रियां फूलों की रंगोली, जिसे ओणमपुक्कलम कहते हैं, बनाती हैं। फूलों की रंगोली को दीये की रोशनी के साथ सजाया जाता है और खीर (आऊप्रथमन) पकाई जाती है। ओणम के दिन नारियल के दूध व गुड़ से पायसम और चावल के आटे को भाप में पकाकर और कई प्रकार की सब्जियां मिलाकर अवियल और केले का हलवा, नारियल की चटनी के साथ चौंसठ प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। पारंपरिक भोज को ओनसद्या कहा जाता है। सद्या को केले के पत्ते पर परोसना शुभ होता है। इसके साथ ही, केरल के पारंपरिक लोकनृत्य जैसे- शेर नृत्य, कुचिपुड़ी, गजनृत्।