कौन हैं खाटू श्याम ?
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी गोविंद द्वादशी के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन खाटूश्याम( राजस्थान) में भव्य उत्सव और मेले का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह मेला 20 मार्च के दिन है। राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा खाटू नगर है, जहां
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी गोविंद द्वादशी के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन खाटूश्याम( राजस्थान) में भव्य उत्सव और मेले का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह मेला 20 मार्च के दिन है। राजस्थान राज्य के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा खाटू नगर है, जहां पर बाबा श्याम का जग विख्यात मन्दिर है।
कौन हैं खाटू श्याम?
खाटू श्याम महाभारत के पात्र बर्बरीक के रूप है। श्रीकृष्ण ने ही बर्बरीक को खाटूश्यामजी नाम दिया था। भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में पूज्य खाटू श्यामजी खाटू में विराजित हैं।
द्वापर युग यानी महाभारत काल में वीर घटोत्कच और मौरवी को एक पुत्ररतन की प्राप्ति हुई थी, जिसके बाल बब्बर शेर की तरह होने के कारण इनका नाम बर्बरीक रखा गया।
बर्बरीक को वर्तमान में खाटू के श्याम, कलयुग के अवतार, श्याम सरकार, तीन बाणधारी, शीश के दानी, खाटू नरेश व अन्य अनगिनत नामों से जानते व मानते हैं। कृष्ण वीर बर्बरीक के महान बलिदान से प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे, क्योंकि कलियुग में हारे हुये का साथ देने वाला ही श्याम नाम धारण करने में समर्थ है।
खाटूनगर तुम्हारा धाम बनेगा और उनका शीश खाटूनगर में दफनाया गया था। यही खाटू नगर वर्मान में सीकर जिले में आता है। जहां होली पर मेला लगता है।
ऐसे बना खाटू गांव
खाटूश्यामजी राजस्थान के सीकर जिले का एक महत्वपूर्ण गांव है। यह खाटूश्यामजी के मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। खाटू गांव की स्थापना राजा खट्टवांग ने की थी। खट्टवां ने ही बभ्रुवाहन के बर्बरीकद्ध के देवरे में बर्बरीक के सिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी।
खाटू की स्थापना के विषय में अन्य मत प्रचलित है। कई विद्वान इसे महाभारत के पहले का मानते हैं तो कई इसे ईसा पूर्व के समय का मानते है।
खाटू श्यामजी मंदिर
यहां वह मंदिर वर्तमान में भी मौजूद है जहां बर्बरीक के सिर को दफनाया गया था। सफेद संगमरमर से बनाया गया खाटू श्यामजी मंदिर बनावाया गया था। खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर राजस्थान के सीकर ज़िले के गांव खाटू में बना हुआ है।
खाटू श्याम मंदिर जयपुर से उत्तर दिशा में वाया रींगस होकर 80 किलोमीटर दूर पड़ता है। इस श्याम मंदिर की आधारशिला सन् 1720 में रखी गई थी। इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1679 में औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था।
इस मंदिर की रक्षा के लिए उस समय अनेक राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया था। खाटू के श्याम मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की पूजा श्याम के रूप में की जाती है।
खाटू श्याम का मेला
खाटू श्यामजी मंदिर में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में बड़े मेले का आयोजन होता है। हर साल इस मेले में काफ़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। यह मेला फागुन सुदी दशमी के आरंभ और द्वादशी के अंत में लगता है।