Kharmas में ध्यान रखें नए कपड़ों से जुड़े ये नियम, वरना हो सकता है नुकसान
खरमास जल्द समाप्त होने वाला है। इस दौरान सूर्य देव की पूजा करना बहुत ही फलदायी माना जाता है। कहते हैं कि खरमास के दौरान शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान सनातन धर्म में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य पूर्ण रूप से वर्जित माने गए हैं जबकि यह समय (Kharmas 2024) सूर्य देव की पूजा के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में खरमास का समय बेहद ही विशेष माना गया है। यह साल में दो बार लगता है। राशि चक्र के अनुसार, यह साल का पहला खरमास है। ऐसा कहते हैं कि खरमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे - शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश और नया व्यवसाय आदि कार्य नहीं करने चाहिए, क्योंकि इससे उन कार्यों में विघ्न पड़ सकता है। बता दें, यह अवधि (Kharmas 2024) एक माह तक चलती है।
ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपके ऊपर किसी प्रकार का अशुभ प्रभाव न पड़े, तो सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करें। साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान दें, जो यहां पर बताई गई हैं।
क्या खरमास के दौरान पहन सकते हैं नए कपड़े? (Can One Wear New Clothes In Kharmas Or Not?)
ऐसा कहते हैं कि खरमास (Kharmas 2024) के दौरान सभी प्रकार के मांगलिक व नए कार्य बंद हो जाते हैं। इसी वजह से इस दौरान खरीदारी करने की मनाही होती है। यही कारण है कि इस अवधि में नए कपड़े खरीदना और पहनना दोनों ही अशुभ माना जात है। वहीं, जिन लोगों ने पहले से ही कपड़े खरीद रखें हैं, उन्हें भी उस कपड़े को पहनने से बचना चाहिए।
हालांकि यह समय धार्मिक कार्य व पूजा-पाठ के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसलिए इस समय ज्यादा से ज्यादा पूजा करने की सलाह दी जाती है।
इस दिन से शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य (Kharmas 2024 End Date)
पंचांग को देखते हुए इस साल सूर्य देव धनु राशि में 15 दिसंबर दिन रविवार को रात 10 बजकर 19 मिनट पर राशि परिवर्तन करेंगे। गोचर करने की पूरी अवधि धनु संक्रांति कहलाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल खरमास 15 दिसंबर से शुरू हुआ था और इसका समापन साल 2025 में तब होगा जब सूर्य देव मकर राशि में (14 जनवरी मंगलवार) प्रवेश करेंगे।
सूर्य देव के अर्घ्य मंत्र (Kharmas 2024 Surya Dev Pujan Mantra)
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।।
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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