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    Khane Ke Niyam: यहां पढ़ें खाना बनाने से लेकर खाने तक के कुछ नियम, अच्छी सेहत का मिलेगा वरदान

    Updated: Sat, 25 Jan 2025 10:57 AM (IST)

    हिंदू शास्त्रों में व्यक्ति के जीवन को स्वस्थ बनाने के लिए कई नियमों का उल्लेख किया गया है। ऐसे में अगर आप खाना बनाने से लेकर खाना खाने तक के इन नियमों का ध्यान रखते हैं तो इससे आपको निरोगी काया का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ ही अन्नपूर्णा की कृपा भी आपके ऊपर बनी रहती है। जिससे व्यक्ति के घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती।

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    Bhojan Ke Niyam खाना खाने और बनाने के नियम (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों में सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक के लिए नियम बताए गए हैं। अगर आप इन नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपको निश्चित तौर पर जीवन में अद्भुत लाभ देखने को मिल सकते हैं। आजकल के इस भागदौड़ वाले समय में हमारी खानपान संबंधी आदतें काफी खराब हो गई हैं, जिनका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। ऐसे में चलिए जानते हैं भोजन संबंधी (Bhojan Ke Niyam) कुछ जरूरी नियम।

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    इस तरह खाएं खाना

    शास्त्रों में जमीन पर बैठकर खाना अच्छा माना गया है। इससे व्यक्ति का खाना जल्दी पच जाता है, साथ ही इससे व्यक्ति को पॉजिटिव एनर्जी भी मिलती है, जो उसके शरीर पर अनुकूल प्रभाव डालती है। इसी के साथ हमेशा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करें।

    खाना बनाने के नियम

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    भोजन पकाने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। रसोई को हमेशा साफ-सुथरा रखें। इसी के साथ अपनी रसोई में कभी भी अग्नि और पानी को पास-पास न रखें। अर्था सिंक और गैस चूल्हे जैसी चीजें जो पानी और अग्नि को प्रदर्शित करती हैं, उन्हें एक-दूसरे से दूर रखना चाहिए। इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    इन बातों का रखें खास ख्याल

    शास्त्रों में माना जाता है कि अन्न (भोजन) का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए और न ही प्लेट में जूठा खाना छोड़ना चाहिए। इससे आपको मां अन्नपूर्णा की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। इस बात का भी ध्यान रखें कि टूटे-फूटे बर्तनों में कभी खाना नहीं खाना चाहिए, वरना इससे साधक की सुख-समृद्धि पर असर पड़ सकता है।

    इसी के साथ कभी भी बिस्तर या फिर दहलीज पर बैठकर भोजन न करें। शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि ईर्ष्या, भय, क्रोध और लोभ भाव में किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है। इसी के साथ कई लोग भोजन करने के बाद प्लेट में ही जूठे हाथ धो लेते हैं, जिसे शास्त्रों में बिल्कुल गलत माना गया है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।