श्राद्ध करते समय इन 10 बातों का रखें ध्यान, पितर देंगे आशीर्वाद
पितृ पक्ष में पितरों की श्राद्ध उनकी मृत्युतिथि के दिन करते हैं। श्राद्ध का अर्थ है जो कुछ भी श्रद्धा से दिया जाए। इसे पाकर पितर खुश होते हैं। श्राद्ध में रखें ध्यान...
चांदी के बर्तन का प्रयोग:
श्राद्ध में चांदी के बर्तनों का उपयोग शुभ होता है। यह राक्षसों का नाश करने वाला भी माना जाता है। अर्घ्य, पिण्ड और भोजन चांदी के बर्तन में ही निकालें।
इस गाय का ही दूध लें:
श्राद्ध कर्म में गाय का घी, दूध या दही शामिल करना जरूरी होता है। हालांकि उस गाय का दूध लिया जाए जिसे बच्चा हुए करीब 15 दिन से अधिक हो गए हों।
इन चीजों का आसन लें:
श्राद्ध के समय खाली जमीन पर नहीं बैठना चाहिए। इस दौरान रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन पर बैठकर श्राद्ध करना चाहिए।
दोनों हाथों से परोसें:
श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन परोसते समय दोनों हाथों का इस्तेमामल करें। मान्यता है कि एक हाथ से पकड़े हुए अन्न पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं।
ब्राह्मण से यह न पूछें :
श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराते समय व्यंजनों कैसा बना यह नहीं पूछना चाहिए। माना जाता है जब तक ब्राह्मण मौन रहता है तब तक पितर भोजन ग्रहण करते हैं।
भिखारी को वापस न करें:
श्राद्ध के समय यदि कोई भिखारी आए तो उसे वापस न करें बल्कि उसे आदरपूर्वक दरवाजे पर रोक लें। इसके बाद याचक को घर पर बने सभी व्यंजन खिलाएं।
पांच जगह अंश निकालें:
श्राद्ध में तैयार भोजन में से गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए जरूर पांच भाग निकालें। मान्यता हैं कि इनके जरिए ही पितरों को भोजन मिलता है।
पत्तल पर निकाले भोजन:
श्राद्ध में केले के पत्ते पर भोजन न निकालें। इसकी जगह पर सोने, चांदी, कांसे, तांबे के पात्र उत्तम माने जाते हैं। अगर ये नहीं हैं तो पत्तल पर निकाल सकते हैं।
इनका भोजन भी गाय को:
श्राद्ध में कुत्ते और कौए का भोजना उन्हें ही खिलाएं। वहीं देवता और चींटी का भोजन कुत्ते और कौए को बिल्कुल न दें। इनका भोजन भी गाय को खिला सकते हैं।
सम्मान के साथ विदा करें:
श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन के बाद पूरे सम्मान के साथ विदा करने दरवाजे तक जरूर जाएं। मान्यता है कि ब्राह्मणों के साथ-साथ पितर लोग भी बराबर चलते हैं।
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