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    SuryaDev Puja Upay: सूर्य देव को जल चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्यान, वरना बुरे दिन हो जाएंगे शुरू

    Surya Dev Puja Upay धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा-उपासना करने से करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। ज्योतिष भी कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए रोजाना सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 14 Jun 2023 03:26 PM (IST)
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    Surya Puja Upay: सूर्य देव को जल चढ़ाते समय इन बातों का रखें ध्यान, वरना बुरे दिन हो जाएंगे शुरू

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Surya Dev Puja Upay: सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान भास्कर की विधि-विधान से पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा-उपासना करने से करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। ज्योतिष भी कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए रोजाना सूर्य देव की पूजा करने की सलाह देते हैं। अतः रोजाना सूर्य देव को जल में रोली या लाल रंग मिलाकर जल अर्पित करें। हालांकि, कुछ लोग सूर्य देव की पूजा करते समय अनजाने में कई गलतियां करते हैं। अगर आप भी सूर्य देव की पूजा उपासना करते हैं, तो जल चढ़ाते समय इन बातों का जरूर ध्यान रखें। आइए जानते हैं-

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    इन बातों का रखें ध्यान

    - सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि उगते हुए सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति को भगवान भास्कर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एक चीज का अवश्य ध्यान रखें कि जल अर्पित करते समय तांबे के पात्र का प्रयोग करें।

    - सूर्य दिशा का उदय पूर्व दिशा में होता है। अतः जल अर्पित करते समय साधक का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। सूर्य देव को जल देते समय 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें। ज्योतिषियों की मानें तो जल में रोली, लाल चंदन और लाल फूल डालकर जल अर्पित करना चाहिए।

    - ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव को रोजाना जल का अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही बल, बुद्धि और विद्या की भी प्राप्ति होती है।

    सूर्य देव की पूजा करते समय पीले रंग का वस्त्र पहनना शुभ होता है। इसके लिए पीले रंग के कपड़े पहनें। इसके पश्चात, भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण कर दें-

    सूर्य मंत्र

    एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

    अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'