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Kedarnath Yatra 2023: 10 जून से शुरू हो रहा है केदारनाथ यात्रा का पंजीकरण, जानिए क्या है इस धाम का महत्व?

Kedarnath Yatra 2023 चारधामों में एक केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए पंजीकरण 10 जून 2023 से शुरू हो जाएंगे। खराब मौसम के कारण पंजीकरण को रोक दिया गया था। आइए जानते हैं क्या है केदारनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन का महत्व?

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Tue, 06 Jun 2023 03:50 PM (IST)Updated: Tue, 06 Jun 2023 04:10 PM (IST)
Kedarnath Yatra 2023: 10 जून से शुरू हो रहा है केदारनाथ यात्रा का पंजीकरण, जानिए क्या है इस धाम का महत्व?
Kedarnath Yatra 2023: 10 जून से शुरू होगी केदारनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Kedarnath Yatra 2023: केदारनाथ धाम यात्रा के लिए पंजीकरण की तिथि तीर्थयात्रियों के लिए पुनः खोल दी जाएगी। बता दें कि 10 जून से केदारनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण खोल दिया जाएगा। बीते दिनों खराब मौसम के कारण और बढ़ती हुई श्रद्धालुओं के भीड़ को देखते हुए पंजीकरण को कुछ दिनों के लिए रोक दिया गया था। हालांकि, अब मौसम शिव भक्तों का साथ दे रहा है।

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प्रतिदिन कर रहे हैं 20 हजार श्रद्धालु केदारनाथ धाम के दर्शन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रतिदिन 20 से 22 हजार श्रद्धालु केदारनाथ धाम के दर्शन कर रहे हैं। अब तक 13.38 लाख यात्रियों ने केदारनाथ धाम के लिए पंजीकरण कराया है। साथ ही तीर्थयात्रियों की संख्या 41 लाख से ज्यादा पहुंच गई है। पंजीकरण को बंद करने का निर्णय सरकार द्वारा भीड़ को सही रूप से नियंत्रित करने के लिए लिया गया था।

केदारनाथ धाम के दर्शन का महत्व

केदारनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन से मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भगवान शिव का यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है और इनकी गणना चार धाम यात्रा में की जाती है। केदारनाथ धाम की गणना पंच केदार में भी की जाती है। मान्यता है कि बद्रीनाथ धाम की यात्रा किए बिना केदारनाथ धाम की यात्रा निष्फल हो जाती है।

केदारनाथ धाम से जुड़े रोचक तथ्य

  • केदारनाथ मंदिर, छह फीट ऊंचे चकोर चबूतरे में बना हुआ है।

  • केदारनाथ में भगवान शिव के दर्शन भक्त केवल दूर से ही कर सकते हैं।

  • वैज्ञानिकों के अनुसार, केदारनाथ मंदिर 400 सालों तक बर्फ में दबा रहा, लेकिन इस मंदिर को कुछ नहीं हुआ।

  • केदारनाथ धाम में जब जल प्रलय आया था, तब भी इस मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आई थी।

  • इस मंदिर की आयु कितनी है, इसका ऐतिहासिक प्रमाण कोई नहीं जानता है।

  • यहां मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही भगवान केदारनाथ की पूजा कर सकते हैं।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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