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    Karwa Chauth 2023: क्यों करवा चौथ पर छलनी से देखा जाता है पति का चेहरा ? जानें इसका धार्मिक महत्व

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 30 Oct 2023 12:10 PM (IST)

    Karwa Chauth 2023 इस बार करवा चौथ का पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। सुहागन महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रतिवर्ष आता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा को छलनी से देखने की बेहद खास परंपरा है जिसका पालन लंबे समय से किया जा रहा है।

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    Karwa Chauth 2023

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Karwa Chauth 2023: सनातन धर्म में करवा चौथ का विशेष महत्व है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है। इस बार यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाएगा। सुहागन महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रतिवर्ष आता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा को छलनी से देखने की बेहद खास परंपरा है, जिसका पालन लंबे समय से किया जा रहा है।

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    आखिर क्यों किया जाता है छलनी से पति और चंद्रमा के दर्शन ?

    करवा चौथ वाले दिन चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना वर्जित माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किसी न किसी की आड़ में चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए।

    इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि छलनी से अपने पति के मुख को देखने से छलनी में सैकड़ों छेद की तरह पति की सैकड़ों वर्ष की उम्र होती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा और पति को छलनी से देखा जाता है।

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    करवा चौथ कथा

    करवा चौथ को लेकर कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक का जिक्र हम करेंगे। करवा नाम की एक महिला थी, जो भद्रा नदी के पास रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में नहा रहा था, उस दौरान एक मगरमच्छ ने उसके पति को नदी के अंदर खींच लिया। उस भयानक क्षण में, करवा ने अपने पति की सुरक्षा के लिए मृत्यु के देवता यमराज से बहुत प्रार्थना की।

    उसकी भक्ति से प्रभावित होकर, यमराज ने उसे एक विशेष आशीर्वाद दिया, जो भी महिला इस दिन उसके नाम पर व्रत रखेगी, उसके पति को लंबी आयु का वरदान मिलेगा।

    इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में करवा चौथ के दौरान भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस शुभ दिन पर, भक्त मां पार्वती के साथ भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करते हैं।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।