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Karwa Chauth 2022: माता पार्वती और द्रौपदी ने रखा था करवा चौथ का व्रत, जानिए इस व्रत के पीछे छिपा कारण

Karwa Chauth 2022 हिन्दू धर्म में करवा चौथ पर्व का बहुत महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। लेकिन क्या आप इस व्रत के पीछे का कारण जानते हैं?

By Shantanoo MishraEdited By: Published: Fri, 07 Oct 2022 12:33 PM (IST)Updated: Thu, 13 Oct 2022 09:00 AM (IST)
Karwa Chauth 2022: माता पार्वती और द्रौपदी ने रखा था करवा चौथ का व्रत, जानिए इस व्रत के पीछे छिपा कारण
Karwa Chauth 2022: जानिए क्यों मनाया जाता है करवा चौथ पर्व।

नई दिल्ली, Karwa Chauth 2022: हर वर्ष कार्तिक मास के चतुर्थी तिथि के दिन सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 (Karwa Chauth 2022 Date) के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं का पालन करते हुए इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हिन्दू धर्म में इस व्रत इस व्रत को महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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मान्यता है कि करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2022) का विधि-विधान से पालन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप इस पर्व के पीछे की वजह जानते हैं? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।

क्या है करवा चौथ मनाने के पीछे छिपा कारण (Karwa Chauth ki Kahani)

मान्यताओं के अनुसार जब यमराज पतिव्रता सती सावित्री के मृत पति सत्‍यवान को लेने धरतीलोक पर आए थे। तब माता सावित्री ने यमराज से अपने पति को जीवनदान देने की प्रार्थना की थी। लेकिन यमराज अपने कर्तव्यों के आगे विवश थे इसलिए उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन सावित्री लम्बे समय तक अपने पति के मृत शरीर के साथ अन्न-जल त्याग कर बैठी रहीं और विलाप करती रहीं। अपने पति के प्रति ऐसा अपार प्रेम देखकर यमराज से रहा नहीं गया और उन्होंने सावित्री से वर मांगने के लिए कहा।

तब सावित्री ने उनसे कई बच्चों की मां बनने का वर मांगा। पतिव्रता होने के कारण यमराज को उनके हठ के आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवन दान दिया। तभी से सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत का अनुसरण करती हैं और चन्द्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं।

महाभारत से भी जुड़ी है इस व्रत की कथा

करवा चौथ व्रत से एक यह कथा भी प्रचलित है कि जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या के लिए चले गए थे और पांडव समस्याओं का सामना कर रहे थे। तब द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण ने सहायता की गुहार की। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत रखने का सुझाव दिया। द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की बात मानी और इस व्रत का विधिवत पालन किया। इसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल तपस्या से वापस आए और सभी पांडवों की भी समस्याएं खत्म हो गई।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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