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    Karj Mukti Mantra: कर्ज की समस्या से पाना चाहते हैं मुक्ति, तो रोजाना पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 07 Nov 2023 12:57 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव के चलते भी व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। साथ ही जीवन में कई अकल्पनीय घटना भी होती है। अगर आपकी भी आर्थिक स्थिति प्रतिकूल है तो रोजाना पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से आर्थिक स्थिति बहुत जल्द सुदृढ़ हो जाती है।

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    Karj Mukti Mantra: रोजाना पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Karj Mukti Mantra: परिवर्तन ही संसार का नियम है। एक नियत समय पर जीवन में अवश्य ही बदलाव आता है। सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख निश्चित ही आता है। हालांकि, कई अवसर पर गलत फैसले लेने के चलते भी व्यक्ति को जीवन में ढ़ेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। खासकर, आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में कुछ लोग कर्ज के बोझ के तले दबते चले जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव के चलते भी व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। अगर आपकी भी आर्थिक स्थिति प्रतिकूल ( अच्छा नहीं) है, तो रोजाना पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से आर्थिक स्थिति बहुत जल्द सुदृढ़ हो जाती है।

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    ऋण मुक्ति मंत्र

    1. ॐ मंगलमूर्तये नमः

    2. ऊँ हिरण्यवर्णा हरिणीं सुवर्णरतस्त्रजाम् ।

    चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो मम आ वह ।।

    3. ऊँ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारमार्द्रां ज्वलतीं तृप्तां तर्पयंतीम् ।

    पदे स्थितां पद्वर्णां तामिहोपह्रये श्रियम् ।।

    4. ऊँ चंद्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।

    तां पदिनेमीं शरणमहं प्रपघेSलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणोमि ।।

    5. ऊँ आदित्यवर्णे तपसोधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोSथ विल्व: ।

    तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्य ब्राह्मा अलक्ष्मी:।।

    6. ऊँ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्रये श्रियम् ।।

    7. ऊँ कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम ।

    श्रियं वासय में कुले मातरं पद्मालिनीम् ।।

    8. ऊँ आर्द्रा पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगला पद्ममालिनीम् ।

    चन्द्रां हिरण्मयी लक्ष्मीं जातवेदो मम आवह ।।

    9. ऊँ तांमSआ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

    यस्यांहिरण्यं प्रभूतंगावो दास्योSश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।

    10. ॐ ऋण-मुक्तेश्वर महादेवाय नमः!

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    मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद ।

    स्थिरासनो महाकाय: सर्वकामविरोधक: ।।

    कर्ज मुक्ति स्तुति

    ऊँ तां मSआ वह जातवेदों लक्ष्मीमनगामिनीम् ।

    यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामवश्वं पुरुषानहम् ।।

    अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रमोदिनीम् ।

    श्रियं देवीमुप ह्रये श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

    ऊँ उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह।

    प्रादुर्भूतोSस्मिराष्ट्रेस्मिन् कीर्त्तिमृद्धिं ददातु मे ।।

    ऊँ क्षुत्पिपासमलां ज्येष्ठामलक्ष्मी नाशयाम्यहम् !

    अभूतिम समृद्धिं च सर्वां निणुर्द में गृहात् ।।

    ऊँ मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि ।

    पशूनां रूपमन्नस्य मयि: श्री: श्रयतां दश: ।।

    ऊँ आप: सृजंतु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।

    निच देवीं मातरं श्रियं वासय में कुले ।।

    ऊँ आर्दा य: करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।

    सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह ।।

    “ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान्

    ऋणात् दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये।”

    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'