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    Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी पर जरूर करें श्री हरि स्तोत्र का पाठ, मां लक्ष्मी की कृपा से होगी धन वर्षा

    एकादशी का उपवास को रखने से सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिल जाती है। साथ ही घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद इसका पारण किया जाता है। सूर्योदय से पहले द्वादशी तिथि समाप्त होने के भीतर पारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में पारण समय का विशेष ध्यान रखें। वहीं इस दिन श्री हरि स्तोत्र का पाठ भी जरूर करें।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 19 Apr 2024 08:27 AM (IST)
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    Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी पर जरूर करें श्री हरि स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kamada Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है। चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस उपवास को रखने से सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिल जाती है। साथ ही घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद इसका पारण किया जाता है। सूर्योदय से पहले द्वादशी तिथि समाप्त होने के भीतर पारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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    ऐसे में पारण के समय का विशेष ध्यान रखें। वहीं, इस दिन को लेकर कहा जाता है कि अगर सुबह या शाम किसी समय इस तिथि पर 'श्री हरि स्तोत्र' का पाठ किया जाए तो इसके चमत्कारी परिणाम देखने को मिलते हैं, तो आइए यहां पढ़ते हैं -

    ।।श्री हरि स्तोत्रम्।।

    जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

    नभोनीलकायं दुरावारमायं सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥

    सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

    गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥

    रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं जलान्तर्विहारं धराभारहारं

    चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥

    जराजन्महीनं परानन्दपीनं समाधानलीनं सदैवानवीनं

    जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥

    कृताम्नायगानं खगाधीशयानं विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

    स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥

    समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

    सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥

    सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

    सदा युद्धधीरं महावीरवीरं महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥

    रमावामभागं तलानग्रनागं कृताधीनयागं गतारागरागं

    मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।