Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर करें भगवान काल भैरव की इस चालीसा का पाठ, जीवन में होगा सुख और समृद्धि का आगमन

    Updated: Sun, 28 Apr 2024 12:40 PM (IST)

    कालाष्टमी (Kalashtami 2024) प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस माह यह 1 मई 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही रोग-दोष का नाश होता है तो आइए यहां इस व्रत से जुड़ी जरूरी बातों को जानते हैं -

    Hero Image
    Kalashtami 2024: श्री भैरव चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalashtami 2024: हिंदू धर्म में भगवान काल भैरव की उपासना बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस माह यह 1 मई, 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की विधिवत पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही रोग-दोष का नाश होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसा कहा जाता है जो लोग इस व्रत को करते हैं और ''श्री भैरव चालीसा'' का पाठ करते हैं उनके ऊपर काल भैरव की पूर्ण कृपा बनी रहती है, तो आइए यहां पढ़ते हैं -

    ।।श्री भैरव चालीसा।।

    ''दोहा''

    श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।

    चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥

    श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।

    श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

    ''चालीसा''

    जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥

    जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥

    जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥

    भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥

    भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥

    शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥

    जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥

    कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥

    जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥

    वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥

    धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥

    कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥

    जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥

    रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥

    अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥

    रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥

    बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥

    करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥

    रत्न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥

    तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥

    जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥

    भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥

    महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥

    अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥

    निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥

    त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥

    श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥

    रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥

    करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥

    करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥

    देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥

    जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥

    श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥

    ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥

    सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥

    श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

    ''दोहा''

    जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।

    कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥

    यह भी पढ़ें: Kalashtami 2024: मई में कब है कालाष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'