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    Kalashtami 2022 Katha: भगवान काल भैरव पर लग चुका है ब्रह्महत्या का पाप, जानिए क्या है पौराणिक कथा

    Kalashtami 2022 काल भैरव देवता को भगवान शिव के रौद्र अवतार के रूप में पूजा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग चुका है और पाप का दंड भोगने के लिए उन्हें भिखारी बनकर रहना पड़ा था?

    By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 11:41 AM (IST)
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    Kalashtami 2022: भगवान काल भैरव पर लग चुका है ब्रह्महत्या का पाप। जानिए क्या है कारण?

    नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Kalashtami 2022, Kaal Bhairav Jayanti: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। इस दिन काल भैरव देवता की विशेष पूजा की जाती है और उनसे जीवन में सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। इस वर्ष अगहन मास में यह व्रत 16 नवम्बर (Kalashtami 2022 Date) के दिन रखा जाएगा। बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान काल भैरव असीम शक्तियों के स्वामी हैं और उनकी उपसना करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। कालाष्टमी के दिन भक्त भैरव मन्दिर में पूजा अर्चना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान भैरव नाथ पर ब्रह्महत्या का पाप लग चुका है। अगर नहीं, तो आइए जानते हैं यह कथा।

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    कौन है सबसे श्रेष्ठ?

    शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव, ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में 'श्रेष्ठ कौन है?' इस विषय में वाद-विवाद चल रहा था। जब इस बात का निष्कर्ष नहीं निकला तब सभी देवताओं के विचार-विमर्श से निष्कर्ष निकालने का निर्णय किया गया। सभा में आए सभी देवताओं से पूछा गया कि 'तीनों में से सबसे श्रेष्ठ कौन हैं? सभी ने अपने-अपने मत प्रस्तुत किए और निष्कर्ष के रूप में अपनी बात सभी के सामने रखी। देवताओं की विचार से भगवान विष्णु और महादेव प्रसन्न थे। लेकिन इससे ब्रह्मा जी खुश नहीं थे। उन्होंने आवेश में आकर शिवजी को कुछ अपशब्द कह दिए। देवताओं से भरी सभा में अपना अपमान समझकर शिवजी को क्रोध आ गया और इसी क्रोध से काल भैरव देवता का जन्म हुआ, भगवान शिव के इस अवतार को महाकालेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

    इस तरह लगा ब्रह्महत्या का पाप?

    शिव जी को इस रूप में देखकर सभा में आए सभी देवता घबरा गए और उन्हें शांत होने की विनती करते रहे। लेकिन काल भैरव के क्रोध के सामने किसी की ना चली और उन्होंने ब्रह्मा जी के पांच मुख में से एक को काट दिया। तभी से ब्रह्मा जी के चार मुख हैं और इसी कारण से भगवान काल भैरव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया था। ब्रह्मा जी ने भगवान शिव के इस अवतार को देख माफी मांगी और तब वह शांत हुए। लेकिन ब्रह्म हत्या के पापों का दंड भोगने के लिए उन्हें कई वर्षों तक भिखारी का रूप धारण कर धरती लोक पर भटकना पड़ा और वाराणसी में उनका यह दंड समाप्त हुआ। इसलिए उन्हें दंडपाणी के नाम से भी जाना जाता है।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।