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    Kalashtami 2021: जानिए , भगवान शिव के क्रोध से कैसे हुआ काल भैरव का जन्म?

    By Jeetesh KumarEdited By:
    Updated: Sat, 27 Nov 2021 06:00 AM (IST)

    Kalashtami 2021 मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी 27 नवंबर को है। इस दिन भगवान शिव जी के क्रुद्ध स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई है। आइए जानते हैं कि काल भैरव कौन हैं और कैसे उनकी पूजा करें-

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    Kalashtami 2021: जानिए , भगवान शिव के क्रोध से कैसे हुआ काल भैरव का जन्म?

    Kalashtami 2021: हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। तदानुसार, मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी 27 नवंबर को है। इस दिन भगवान शिव जी के क्रुद्ध स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई है। अतः कालाष्टमी के दिन भगवान शिवजी के काल भैरव स्वरूप की पूजा उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त काल भैरव देव की पूजा-उपासना करते हैं। उनके जीवन से समस्त प्रकार के दुःख और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में यश और कीर्ति का आगमन होता है। आइए जानते हैं कि काल भैरव कौन हैं और कैसे उनकी पूजा करें-

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    काल भैरव देव की उत्पत्ति की कथा

    धार्मिक किदवंती के अनुसार, एक बार देवताओं ने ब्रह्मा देव और विष्णु जी से पूछा- हे जगत के रचयिता और पालनहार कृपा कर बताएं कि ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन है? देवताओं के इस सवाल से ब्रह्मा और विष्णु जी में श्रेष्ठ साबित करने की होड़ लग गई। इसके बाद सभी देवतागण, ब्रह्मा और विष्णु जी सहित कैलाश पहुंचे और भगवान भोलेनाथ से यह सवाल पूछा- हे देवों के देव महादेव! आप ही बताएं-ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन हैं?

    देवताओं के इस सवाल पर तत्क्षण भगवान शिव जी के तेजोमय और कांतिमय शरीर से ज्योति कुञ्ज निकली, जो नभ और पाताल की दिशा में बढ़ रही थी। तब महादेव ने ब्रह्मा और विष्णु जी से कहा- आप दोनों में जो सबसे पहले इस ज्योति की अंतिम छोर पर पहुंचेंगे। वहीं, श्रेष्ठ है। इसके बाद ब्रह्मा और विष्णु जी अनंत ज्योति की छोर तक पहुंचने के लिए निकल पड़े।

    भगवान शिव ने लिया काल भैरव रूप

    कुछ समय बाद ब्रम्हा और विष्णु जी लौट आए तो शिव जी ने उनसे पूछा-हे देव! क्या आपको अंतिम छोर प्राप्त हुआ। इस पर विष्णु जी ने कहा -हे महादेव यह ज्योति अनंत है, इसका कोई अंत नहीं है। जबकि ब्रम्हा जी झूठ बोल गए। उन्होंने कहा- मैं अंतिम छोर तक पहुंच गया था। यह जान शिव जी ने विष्णु जी को श्रेष्ठ घोषित कर दिया। इससे ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठें, और शिव जी के प्रति अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करने लगे।

    यह सुन भगवान शिव क्रोधित हो उठें और उनके क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति हुई, जिन्होंने ब्रम्हा जी के एक मुख को धड़ से अलग कर दिया। उस समय ब्रह्मा जी को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने तत्क्षण भगवान शिव जी से क्षमा याचना की। इसके बाद कैलाश पर्वत पर काल भैरव देव के जयकारे लगने लगे।

    डिस्क्लेमर

    ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

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