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    Chaitra Navratri 2025: आखिर मां दुर्गा ने शेर को क्यों बनाया अपना वाहन? जानिए पौराणिक कथा

    सनातन धर्म में नवरात्र की अवधि को बेहद खास माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) में धरती पर मां दुर्गा का आगमन होता है। हर बार मां दुर्गा अलग-अलग वाहन पर आती हैं। मां दुर्गा की सवारी शेर है। लेकिन क्या जानते हैं कि शेर कैसे बना मां दुर्गा की सवारी? अगर नहीं पता तो आइए बताते हैं इसके बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 18 Mar 2025 02:10 PM (IST)
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    Chaitra Navratri 2025: मां दुर्गा का वाहन है शेर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होते हैं और नवमी तिथि पर पर्व का समापन होता है। इस बार चैत्र नवरात्र 29 मार्च (Kab Se Hai Chaitra Navratri 2025) से शुरू होंगे और अगले महीने यानी 07 अप्रैल को समापन होगा। इस दौरान अलग-अलग दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है।

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    धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र नवरात्र में विधिपूर्वक व्रत करने से मां दुर्गा साधक के जीवन में हमेशा रक्षा करती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। मां दुर्गा को शेरावली के नाम से जाना जाता है। ऐसे में अब आप सोच रहे होंगे कि मां दुर्गा शेर की सवारी क्यों करती हैं? ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में।  

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    शेर कैसे बना मां दुर्गा की सवारी

    मां दुर्गा शेर की सवारी का वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिलता है, जिनमें स्कंद पुराण और शिव पुराण प्रमुख हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, मां पार्वती महादेव को अपने पति के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने जीवन में कठोर तपस्या की, जिसकी वजह से उनका रंग सांवला पड़ गया था। एक बार ऐसा समय कि जब भगवान शिव ने मां पार्वती को हंसी मजाक में काली कह दिया। महादेव की यह बात का मां दुर्गा को अच्छी नहीं लगी, जिसकी वजह से वह कैलाश पर्वत को छोड़कर चली गईं और तपस्या में लीन हो गईं।

    इसके बाद एक शेर शिकार करने के लिए मां पार्वती के पास पहुंचा, लेकिन मां पार्वती तपस्या कर रही थीं। इस दृश्य को देख शेर सोचने लगा कि जब मां पार्वती की तपस्या खत्म होगी। उसके बाद वह उन्हें शिकार बना लेगा, लेकिन कई वर्षों तक मां पार्वती की तपस्या खत्म नहीं हुई। जब आखिरी में देवी की तपस्या का समापन हुआ, तो महादेव प्रकट हुए और मां पार्वती मां गौरी होने का वरदान दिया। उसी समय से मां पार्वती महागौरी के नाम मसे जाना लगा।  

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    मां पार्वती ने सोचा कि तपस्या के दौरान शेर भूखा-प्यास बैठा रहा। ऐसे में शेर को भी तपस्या का फल प्राप्त होना चाहिए। ऐसे में मां पार्वती ने शेर को अपना वाहन बना लिया। इसी तरह शेर मां दुर्गा की सवारी बना।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।